सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ा/बागेश्वर
शारदीय नवरात्र के शुरू होते ही आज से माहौल मां देवी की भक्ति में भक्तिमय हो गया है। पहले दिन आज सुबह लोगों ने स्नान कर विशेष पूजा अर्चना की। कई लोगों खासकर महिलाओं ने व्रत धारण कर देवी मंदिरों में विशेष पूजा अर्चना की। पहले दिन आज शैलपुत्री रूप की पूजा हुई।
अल्मोड़ा: नवरात्र शुरू होते ही सांस्कृतिक नगरी में भक्ति की बयार बह चली है। विभिन्न स्थानों पर दुर्गा महोत्सव शुरू हो गए हैं। मां दुर्गा की भव्य व आकर्षक मूर्तियों के साथ पंडाल सजे हैं। विशेष पूजा अर्चना का दौर चल रहा है। इधर पहली नवरात्र में घरों में विशेष पूजा अर्चना हुई। लोगों खासकर महिलाओं ने नगर के नंदादेवी, उल्का देवी, बानड़ी देवी, पातालदेवी, जाखनदेवी आदि देवी मंदिर व चितई गोलू देवता मंदिर श्रद्धालुओं से पटे रहे।
सरयू—गोमती संगम पर स्नान
बागेश्वर: शारदीय नवरात्र के पहले दिन शैलपुत्री को पूजा-अर्चना को देव मंदिरों में श्रद्धा का तांता लगा। चंडिका, कोट भ्रामरी, कालिका मंदिर कांडा समेत जिले के सभी हिस्सों में स्थित देवी मंदिरों में सुबह से ही पूजा अर्चना शुरू हो गई है। श्रद्धालुओं ने श्रद्धापूर्वक सरयू-गोमती संगम पर स्नान किया। गंगाजल लेकन अपने घर लौटे और देवी हरेला बोया।
नगर स्थित चंडिका, उल्का, कठायतबाड़ा भगवती मंदिर में सुबह से ही लोग दर्शन को पहुंचे। बागनाथ मंदिर में भक्तों ने जल अर्पित किया। कांडा के कालिका मंदिर, भद्रकाली मंदिर, कपकोट के बदियाकोट और गरुड़ के कोट भ्रामरी मंदिर में भी लोगों ने पूजा की। पंडित मोहन चंद्र लोहनी ने बताया कि नवरात्रों में नौ दिनों तक मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार, शारदीय नवरात्रि अश्विन के चंद्र महीने में मनाई जाती है। शरद ऋतु के दौरान मनाई जाने वाली शारदीय नवरात्रि सबसे प्रतीक्षित नवरात्रि में से एक है।
अगले नौ दिनों में, भक्त देवी दुर्गा की पूजा करते हैं और उपवास रखते हैं। घरों में हरेला भी बोया कहा गया और वह विजय दशमी के दिन काटा जाएगा। शारदीय नवरात्र की शुरुआत आज से हो गई है। नवरात्रि का आज पहला दिन है। नवरात्रों में नौ दिनों तक मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार, शारदीय नवरात्रि अश्विन के चंद्र महीने में मनाई जाती है। शरद ऋतु के दौरान मनाई जाने वाली शारदीय नवरात्रि सबसे प्रतीक्षित नवरात्रि में से एक है। यह त्योहार पूरे देश में अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है। अगले नौ दिनों में, भक्त देवी दुर्गा की पूजा करते हैं और उपवास रखते हैं।