हारिये न हिम्मत : कोरोना काल की सबसे खूबसूरत तस्वीर, नवजात बच्ची ने खिलखिलाते हुए जीती कोरोना से जंग

कोरोना काल में महज 26 दिन की इस नवजात बच्ची ने आज पूरे देश को कोरोना काल में जीने की अद्भुत कला सिखा दी है।…


कोरोना काल में महज 26 दिन की इस नवजात बच्ची ने आज पूरे देश को कोरोना काल में जीने की अद्भुत कला सिखा दी है। संक्रमण की चपेट में आने के बाद इस नवजात बच्ची ने रो—रोकर नही खिलखिलाते हुए पूरे 18 दिन बाद कोरोना से जंग जीती है।

शायद, कोरोना की इस दूसरी लहर में आपको हौंसले की जरूरत है, तो बिना किसी संकोच के इस नवजात की राह पर चल पड़ें।

दरअसल, जीत की यह कहानी मेरठ की 26 दिन की नन्ही जान निकिता की है, जो जन्म लेते ही निमोनिया से ग्रसित हो गई। फिर जब जांच करवाई तो इसकी कोरोना रिपोर्ट भी पॉजिटिव आ गई।

ऐसे में वही हुआ, जो होता आया है। परिवार के सदस्य रोने लगे और उम्मीद उन्होने छोड़ दी, लेकिन जय हो इस नन्ही सी जान की जो वेंटिलेटर में आराम से लेट गई और उसने कोई प्रतिक्रिया नही दी।

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इसके बाद इस नन्ही प्यारी सी जान को वेंटिलेटर पर रखा गया। फिरऑक्सीजन थैरेपी दी गई। रेमेडेसिवर के इंजेक्शन भी देने पड़े। स्टेरॉयड तक दिए गए। आखिरकार 18 दिन अस्पताल में रहने के बाद शनिवार को बच्ची खिलखिलाती हुई अपनी मां की गोद में आई।

चिकित्सकों ने भी बहुत बड़ी बात कही है। उनका कहना है कि इस बच्ची की खिलखिलाहट कोरोनाकाल में सबसे बड़ी खुशी की तस्वीर है।


यह थी पूरी कहानी…..
आपको बता दें कि यह बच्ची उत्तर प्रदेश के हापुड़ में इंद्रलोक कॉलोनी की सर्वेश की है। जिसे उसने गत 01 अप्रैल को जन्म दिया था। जन्म के 26वें दिन ही बच्ची को निमोनिया हो गया। चिकित्सकों ने पहले इस बच्ची का सामान्य उपचार किया, लेकिन हालत बिगड़ने पर सर्वेश अपनी बच्ची को लेकर मेरठ के न्यूटिमा अस्पताल पहुंचीं। वहां नवजात की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आ गई।

नवजात के दोनों फेफडों में गंभीर संक्रमण था। जिसके कारण उसकी हालत लगातार बिगड़ रही थी। बच्ची का इलाज करने वाले वरिष्ठ शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. अमित उपाध्याय ने बताया कि बच्ची को सांस बिल्कुल नहीं आ रही थी। उसे हफ्ते भर तक वेंटिलेटर पर रखा गया।

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​इन चिकित्सकों को भी सलाम !
डॉ. अमित के मुताबिक वेंटिलेटर पर भी बच्ची की हालत में जब कुछ सुधार नही हुआ तो सब चिंतित हो गई। इसका ऑक्सीजन लेवल 50 पर था। अतएव इसे ऑक्सीजन थैरेपी दी गई। जिससे बहुत फायदा हुआ। ब्लड प्रेशर बढ़ाने के लिए दवाएं दी गईं। रे‌मिडिसिविर, हैवी एंटीबायटिक और स्टेरॉयड भी दिए। आखिरकार यह नन्ही जान 18 दिन में बिल्कुल स्वस्थ हो गई।

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यह नन्ही जान जैसे ही मां की गोद में पहुंची तो खिलखिला कर ऐसे हंसी कि सबकी निगाहें इसी पर टिक गई। मां की गोद में अब यह पूरी तरह स्वस्थ है और इसे सिर्फ अपनी हिम्मत और मासूम खिलखिलाहट की बदौलत नया जीवन मिला है।

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