सीएनई रिपोर्टर, सुयालबाड़ी/गरमपानी
पहाड़ों में पड़ रही भीषण गर्मी के बीच अल्मोड़ा और नैनीताल जनपद के कई जंगल वनाग्नि की चपेट में आने लगे हैं। इससे वातावरण में फैली धुंध से तीव्र गर्मी और घुटन की अनुभूति होने लगी है।
आज रविवार को ढूना व तुमगांव के जंगलों में अचानक भीषण आग भड़क उठी। जिसकी सूचना स्थानीय नागरिकों द्वारा वन विभाग को दी गई। सूचना मिलने पर वन क्षेत्राधिकारी प्रमोद कुमार आर्य द्वारा टीम सहित मौके पर पहुचे। वन विभाग की टीम आग बुझाने के प्रयास में लगातार जुटी रही। काफी देर तक आग को नियंत्रित करने का प्रयास किया जा रहा था। इस टीम में फोरेस्टर संजय आर्य, कुंदन सहित कई वन कर्मियों के अलावा ग्रामीण शामिल रहे। इधर वन क्षेत्राधिकारी ने कहा कि जल्द ही आग पर काबू पा लिया जायेगा। उन्होंने ग्रामीणों से भी वनाग्नि नियंत्रण हेतु सहयोग करने की अपील की।
उत्तराखंड में छह सालों में 15837 हेक्टेयर जंगल को आग से भारी क्षति पहुंची। इस अवधि में पूरे प्रदेश में 9918 वनाग्नि की घटनाएं हुईं। पिछले वर्ष राज्य में वनों को सबसे अधिक नुकसान हुआ। वनाग्नि 2780 घटनाओं में 3927 हेक्टेयर क्षेत्र दावानल की भेंट चढ़ गया।
यह यह उल्लेखनीय है कि उत्तराखंड के वनों पर हर साल गर्मियां का सीजन बहुत भारी साबित होता है। इससे भीषण गर्मी में इजाफा हो जाता है। कई बार पहाड़ों में ऐसे स्थानों पर वनाग्नि की घटनाएं होती हैं, जहां तक किसी का पहुंच पाना तक मुश्किल होता है। वन विभाग के आंकड़ों पर यदि गौर करें तो विगत 05 सालों में आग की घटनाओं से सर्वाधिक नुकसान साल 2021 में हुआ, जबकि 2020 में दावानल की सबसे कम घटनाएं हुईं। कोरोना काल में वनाग्नि की घटनाओं में कुछ कमी आई थी। आंकड़े बताते हैं कि साल 2020 में वनाग्नि की मात्र 135 घटनाएं हुईं और 172.69 हेक्टेयर जंगल को नुकसान पहुंचा, जबकि साल 2021 में यह आंकड़ा काफी बड़ा रहा। मौजूदा साल 2022 में वन विभाग प्रदेश में होने वाली वनाग्नि की घटनाओं पर नजर रखे है। ज्ञात रहे कि बीते छह सालों में जंगलों की आग से 06 इंसानों की जान भी जा चुकी है।