नई दिल्ली। किसानों और राजनीतिक दलों के लगातार विरोध के बीच राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने आज मानसून सत्र में संसद से पास किसानों और खेती से जुड़े बिलों पर अपनी सहमति दे दी है। किसान और राजनीतिक दल इस विधेयकों को वापस लेने की मांग कर रहे थे, लेकिन उनकी कोइ्र भी अपील काम नहीं आई।
केंद्र की मोदी सरकार में सहयोगी रही शिरोमणि अकाली दल भी इस बिल के विरोध में लगातार मुखर रही। संसद में बिल का विरोध किया, फिर केंद्र में मत्री रहीं हरसिमरत कौर ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद सरकार के रवैये में कोई बदलाव नहीं देखने से नाराज अकाली दल ने खुद को अब एनडीए से भी अलग कर लिया।
संसद के मॉनसून सत्र में लाए गए कृषक उपज व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सुविधा) विधेयक 2020, कृषक (सशक्तीकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक-2020 को पहले संसद के दोनों सदनों की मंजूरी मिल चुकी है। अब इस पर राष्ट्रपति की मुहर भी लग चुकी है। ये तीनों विधेयक कोरोना काल में पांच जून को घोषित तीन अध्यादेशों की जगह लेंगे।
इस बीच बुधवार को कांग्रेस सांसद गुलाम नबी आजाद राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मिलने पहुंचे। विपक्ष के प्रतिनिधिमंडल की तरफ से गुलाम नबी आजाद राष्ट्रपति से मिले। आजाद ने राष्ट्रपति से मुलाकात के बाद बताया कि उन्होंने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात की है और कहा है कि सब राजनीतिक दलों से बात करके ही यह बिल लाना चाहिए था।
उन्होंने कहा कि दुर्भाग्य से ये बिल न सेलेक्ट कमेटी को भेजा गया और न ही स्टैंडिंग कमेटी को भेजा गया।
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