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स्वास्थ्य चर्चाः महिलाओं में होने वाले कैंसर के लक्षण एवं बचाव, हल्द्वानी की विशेषज्ञ डाॅ. अमृता बोली-‘कैंसर से डरें नहीं बल्कि जागरूक रहें महिलाएं।’

सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ा
आज के दौर में डायबिटीज, ब्लड प्रेशर एवं हृदय रोग जैसी लंबी बीमारियों पर काबू पा लिया गया है। चिकित्सा विज्ञान ने अभूतपूर्व प्रगति करके मनुष्य की आयु पूर्व की तुलना में बढ़ा दी है, लेकिन मौजूदा दौर में जल, वायु और खानपान के प्रदूषित होने के कारण कैंसर व अन्य बीमारियों से ग्रसित रोगियों की संख्या भी बढ़ी है। कैंसर रोग के नाम से ही डर का एहसास होता है। महिलाओं में भी कई प्रकार के कैंसर पाए जाते हैं। इसी के प्रति विशेषज्ञ महिला चिकित्सक डाॅ. अमृता मखीजा (एमबीबीएस, एमएस, डीएनबी) महिलाओं के लिए बेहद फायदेमंद जानकारी इस संबंध में दे रही हैं। उनकी सीएनई से महिलाओं में होने वाले कैंसर के संबंध में वार्ता हुई। तो संजीवनी अस्पताल हल्द्वानी में कार्यरत विषय विशेषज्ञ डाॅ. अमृता कहती हैं कि कैंसर से डरने की नहीं, बल्कि जागरूक रहने की आवश्यकता है। जागरूक रहकर कैंसर की समय पर पहचान की जा सकती है और समय पर उसका इलाज किया जा सकता है या कैंसर होने की संभावना को कम किया जा सकता है। उनके द्वारा विस्तार से महिलाओं मेें होने वाले कैंसरों पर दी गई जानकारी इस प्रकार हैः-
स्तन कैंसर प्रमुखः- महिलाओं में होने वाले कैंसर में स्तन कैंसर प्रमुख है। स्तन के आकार व रूप में बदलाव आना, लाली छाना, खुजली या काला पड़ना, त्वचा में गड्ढे या सिकुड़न आ़ना अथव निप्पल से रिसाव होना आदि इसके लक्षण हो सकते हैं। 20 वर्ष की आयु से अधिक हर महिला को महीने में एक बार स्तनों की जांच व परीक्षण अवश्य कराना चाहिए। इसके लिए नजदीकी डॉक्टर से स्वयं जांच व परीक्षण करना सीखा जा सकता है। 40 वर्ष की आयु के बाद साल में एक बार डॉक्टर से परीक्षण करवाना चाहिए और जरूरत पड़ने पर मैमोग्राफी (एक्स-रे व अल्ट्रासाउंड) करवा लेना चाहिए।
गर्भाशय के मुंह का कैंसरः- स्तन कैंसर के बाद महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर (गर्भाशय के मुंह का कैंसर) पाया जाता है। यह कैंसर एचपीवी नामक एक वायरस से होता है, जिस से बचाव के लिए वैक्सीन उपलब्ध है। यह वैक्सीन 11 से 26 वर्ष की आयु की महिलाओं को दी जाती है। यह वैक्सीन इंफेक्शन रोकने में 99 प्रतिशत तक उपयोगी है। महावारी में अनियमित खून आना, बदबू आना, मवाद आना व संभोग के बाद खून आना इस कैंसर के लक्षण होते है। इसका पता लगाने के लिए 30 वर्ष की आयु के बाद हर महिला को पैप स्मीयर नामक जांच करानी चाहिए। यह जांच सरकार की तरफ से अस्पतालों में मुफ्त कराई जा रही है। पैप स्मीयर 5 मिनट में होने वाली बहुत सरल जांच है, जिसमें गर्भाशय के मुंह से पानी का सैंपल जांच के लिए लिया जाता है। यह सैंपल साथ ही एचपीवी-डीएनए की जांच के लिए भी भेजा जा सकता है। इन जांचों से कैंसर होने की संभावना का कई साल पहले ही पता चल जाता है और कैंसर होने से रोका जा सकता है।
गर्भाशय का कैंसरः- महिलाओं में गर्भाशय का कैंसर (यूट्राईंन कैंसर) भी होता है। माहवारी का अनियमित होना, माहवारी में अधिक या लंबे समय तक खून जाना व माहावरी के बंद होने के बाद (मीनोपॉज के बाद) फिर से खून या दाग लगना आदि इसके लक्षण है। इन लक्षणों के होने पर कैंसर को पहचानने के लिए स्त्री रोग विशेषज्ञ से मिलकर बायोप्सी (टुकड़े की जांच) कराना आवश्यक है।
अंडेदानी का कैंसरः- महिलाओं में अंडेदानी का कैंसर भी देखा जाता है। अन्य कैंसर की अपेक्षा अंडेदानी के कैंसर के लक्षण पहचानना कुछ मुश्किल होता है। खासतौर पर पेट फूलना, पेट में गांठ महसूस होना, वजन का घटना, गैस की शिकायत होना, पहले से कम खाना खाने पर पेट का भर जाना व पेट का भरा-भरा महसूस होना आदि इसके लक्षण हैं। ऐसे लक्षण होने पर डॉक्टर से सलाह लेकर अल्ट्रासाउंड कराना जरूरी है।
घबराएं नहीं, जागरूक रहेंः- कैंसर जो भी हो या उसकी संभावना हो। तो सही समय पर पता लगाने से कैंसर का इलाज संभव है। यदि समय-समय पर जांच कराई जाए और जागरूक रहा जाए, तो डॉक्टरों की टीम द्वारा उसका इलाज कर लिया जाता है। इलाज में सर्जरी, कीमोथेरेपी (तेज दवाएं), रेडिएशन थेरेपी (सेक) व हार्मोन थेरेपी का प्रयोग होता है। मेडिकल साइंस की तरक्की की वजह से लेप्रोस्कोपी (दूरबीन विधि) से भी कैंसर का ऑपरेशन संभव है। लेप्रोस्कोपिक सर्जरी में पेट पर बड़ा चीरा नहीं लगाना पड़ता, जिसकी वजह से मरीज को आराम रहता है और अस्पताल से जल्दी छुट्टी मिल जाती है एवं आगे का इलाज भी जल्दी शुरू हो जाता है।
डा. की महिलाओं को नेक सलाहः- बीमारी कोई भी हो, उसके इलाज से बचाव बेहतर है। बीमारी से बचाव के लिए कुछ बातों का ध्यान अवश्य रखना चाहिए। स्वच्छ हवा में सांस लें। नियमित रूप से व्यायाम करें। ऑर्गेनिक चीजों का प्रयोग करें। एंटी आॅक्सीडेंट से भरपूर ताजे फल व सब्जियां खाएं। ये सब कैंसर से लड़ने में सहायक हैं। बाहर का खाना कम करें, जागरूक रहें और कोई भी लक्षण को अनदेखा नहीं करें।

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