नई दिल्ली | सुप्रीम कोर्ट ने लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वालों के लिए रजिस्ट्रेशन की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया है। यही नहीं, कोर्ट ने याचिकाकर्ता को जमकर फटकार भी लगाई। CJI बोले- ये सब क्या है, लोग यहां कुछ भी लेकर आते हैं। हम ऐसे मामलों पर जुर्माना लगाना शुरू करेंगे।
दिल्ली के श्रद्धा वालकर मर्डर केस के बाद सुप्रीम कोर्ट में यह याचिका दाखिल की गई थी। CJI डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस जेबी पारदीवाला की बेंच ने इस मामले की सुनवाई की।
एडवोकेट ने श्रद्धा, निक्की का उदाहरण देकर याचिका दाखिल की थी
लिव-इन रिलेशनशिप में पार्टनर्स की हत्याओं के बढ़ते मामलों पर चिंता जताते हुए एडवोकेट ममता रानी ने कोर्ट में यह याचिका दर्ज की थी। उन्होंने कहा था कि जैसे शादी का रजिस्ट्रेशन होता है, वैसे ही लिव-इन रिलेशनशिप में भी कराना चाहिए।
याचिका में वकील ने श्रद्धा वालकर, निक्की यादव के उदाहरण दिए थे। याचिकाकर्ता का कहना था कि कोर्ट ने पहले भी इस तरह के संबंधों को मौलिक अधिकारों के दायरे में माना है। लिव-इन में रहने वालों का केंद्र सरकार रजिस्ट्रेशन करे, ताकि पुलिस के पास इनका रिकॉर्ड मौजूद हो।
CJI ने याचिकाकर्ता से पूछा- ‘रजिस्ट्रेशन किसके साथ, केंद्र सरकार के साथ, लिव इन रिलेशनशिप में रहने वाले लोगों से केंद्र सरकार को क्या लेना-देना। CJI ने दो सवाल पूछते हुए कहा, ‘आप इन लोगों की सुरक्षा को बढ़ावा देने की कोशिश कर रहे हैं या लिव-इन को रोकने की। हम इस मूर्खताभरी याचिका को खारिज करते हैं।’
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