सूर्य ग्रहण 2023: जानिए, कैसा होगा साल का यह पहला सूर्य ग्रहण!

वर्ष 2023 में कल बृहस्पतिवार को साल का प्रथम सूर्य ग्रहण लगने जा रहा है। ग्रहण सुबह 07 बजकर 04 मिनट से शुरू होगा। इसके…

सूर्य ग्रहण 2023

वर्ष 2023 में कल बृहस्पतिवार को साल का प्रथम सूर्य ग्रहण लगने जा रहा है। ग्रहण सुबह 07 बजकर 04 मिनट से शुरू होगा। इसके बाद अगला ग्रहण 14 अक्टूबर को होगा।

उल्लेखनीय है कि हिंदू पंचांग के अनुसार वैशाख माह की अमावस्या तिथि के दिन कल बृहस्पतिवार, 20 अप्रैल 2023 से लगने जा रहे सूर्य ग्रहण दोपहर 12 बजकर 29 मिनट तक चलेगा। ग्रहण की कुल अवधि 5 घंटे 24 मिनट तक रहेगी।

यह रहेगी सूर्य ग्रहण की अवधि

गुरुवार, 20 अप्रैल 2023 को साल का पहला सूर्य ग्रहण लगने जा रहा है। भारतीय समय के अनुसार यह सूर्य ग्रहण सुबह 7 बजकर 4 मिनट से शुरू हो जाएगा जो दोपहर 12 बजकर 29 मिनट तक चलेगा। इस सूर्य ग्रहण की कुल अवधि 5 घंटे 24 मिनट तक रहेगी।

कहां—कहां देखा जा सकेगा सूर्य ग्रहण

उल्लेखनीय है कि कल लगने जा रहे सूर्य ग्रहण को भारत में नहीं देखा जा सकेगा। हालांकि यह ग्रहण आस्ट्रेलिया, चीन, थाईलैंड, अमेरिका, मलेशिया, जापान, न्यूजीलैंड, हिंद महासागर और प्रशांत महासागर आदि से दिखाई देगा।

क्या सूतक काल होगा मान्य !

पुरोहितों के अनुसार इस सूर्य ग्रहण को चूंकि भारत में देखा नहीं जा सकेगा। अतएव इसका सूतक काल भी माना नहीं जायेगा। दरअसल, शास्त्र कहते हैं कि जहां पर भी ग्रहण का असर होता है वहीं पर सूतक लगता है। भारत में चूकी सूर्य ग्रहण नहीं दिखेगा अतएव सूतक काल प्रभावी नहीं होगा।

कब शुरू होता है सूतक काल

जहां सूर्य ग्रहण दिखाई देता है, वहां सूतक भी लगता है। सूतक ग्रहण लगने के 12 घंटे पूर्व प्रारम्भ हो जाता है। यह ग्रहण की समाप्ति तक रहता है। संयोग की बात तो यह है कि 20 अप्रैल के बाद साल का दूसरा ग्रहण 14 अक्टूबर को लगेगा। लेकिन 14 अक्टूबर के ग्रहण को भी भारत में नहीं देखा जा सकता है। अतएव तब भी सूतक काल नहीं होगा।

धार्मिक मान्यताओं में सूतक काल

हिंदू धर्म में सूतक काल को अशुभ समय के रूप में देखा जाता है। मान्यता यह है कि सूतक काल में सूर्य और चंद्रमा पीड़ा में होते हैं। अतएव कोई भी शुभ कार्य प्रारम्भ नहीं करना चाहिए। इस काल में मंदिरों के कपाट भी बंद कर दिए जाते हैं। भगवान की मूर्तियों का स्पर्श और दिया जलाना वर्जित रहता है। यहीं नहीं इस काल अवधि में भोजन पकाना व ग्रहण करना भी वर्जित है।

20 अप्रैल, 2023 के सूर्य ग्रहण में क्या है विशेषता

हालांकि साल का यह प्रथम सूर्य ग्रहण भारत में नहीं देखा जा सकेगा। सूतक काल भी नहीं लगेगा। इसके बावजूद यह ग्रहण कई मायनों में विशेष है। यह ग्रहण कंकणाकृति सूर्य ग्रहण है।

किस किस्म का होगा यह ग्रहण

एस्ट्रोनॉमी के अनुसार कंकणाकृति सूर्य ग्रहण एक मिश्रित ग्रहण है। यह कुंडलाकार रूप में शुरू होता है। इसके पश्चात यह कुछ समय लेकर पूर्ण सूर्य ग्रहण में बदल जाता है। फिर वापस आकर कुंडलाकार सूर्य ग्रहण में परिवर्तित हो जाता है।

इससे पूर्व कब देखा गया था ऐसा ग्रहण

याद दिला दें कि कंकणाकृति सूर्य ग्रहण इससे पूर्व वर्ष 2013 में लगा था। इस तरह का ग्रहण आंशिक सूर्य ग्रहण के रूप में भी जाना जाता है। वह तब होता है जब चंद्रमा सूर्य के एक छोटे से हिस्से को कवर करता है। वहीं कुंडलाकार सूर्य ग्रहण तब होता है, जब चंद्रमा सूर्य के एकदम मध्य में आ जाता है। ऐसी स्थिति में सूर्य चमकदार अंगूठी की तरह दिखाई देने लगता है।

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