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सितारगंज/दिन में रात : सौ साल बूढ़े भी बोले—पहली बार देखा ऐसा नजारा


नारायण सिंह रावत

सितारगंज। लगता है साल 2020 जिन्दगी से 20—20 खेल रहा है। या यूं कहिए कि यह वर्ष खुद के प्राण बचाने की जद्दोजहद का है। कुछ भी कहिए, किन्तु इस वर्ष की शुरूआत जिस तरह कोरोना महामारी के प्रकोप से हुई है, उसने दुनिया के दो लाख से अधिक लोगों को असमय ही काल का ग्रास बना दिया है और बना रहा है। ऐसे में रविवार को आए आंधी तूफान ने जिससे पत्थर दिल वालों को हिलाकर रख दिया। लोग सहम गए, लोगों की आंखों में एक अजीब सा डर देखने को मिला। सौ साल के लोग भी कह उठे कि प्रकृति का ऐसा रौद्र रूप उन्होंने कभी नहीं देखा

जैसा कि सर्व विदित है कि भारत ही नहीं अपित संपूर्ण दुनिया कोरोना महामारी के संकट से जूझ रही है। अभी तक लाइलाज बीमारी से अब तक दुनिया में लाखों संक्रमित हैं और दो लाख से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। भारत में भी कोरोना महामारी विकराल रूप लेती जा रही है। हर संभव प्रयास इस महामारी के सामने बौने होते जा रहे हैं। भारत में अब तक कुल संक्रमित लोगों की संख्या 67,152 पर पहुंच गई। जबकि कोरोना वायरस से अबतक 2206 लोगों की जाने जा चुकी हैं।

पिछले 24 घंटों में इसमें रिकार्ड बढ़ोत्तरी हुई है। 24 घंटे में कोरोना वायरस संक्रमण के 4,213 मामले सामने आए हैं जिसके बाद सोमवार तक देश में वहीं 97 लोगों की मौत हुई है। जो भारत और यहां के रहने वालों के लिए एक गंभीर संकेत हेैं। यदि यही स्थिति रही तो भारत में भयाभव होगी। एक बात ओर भारत में यह​ स्थिति तब है जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपनी पूरी टीम के साथ कोरोना महामारी से बचाव के लिए रात दिन एक किए हुए हैं। कोरोना महामारी के संकट के चलते देश भर में रोजगार धंधे बंद हैं।

स्कूल कालेज बंद हैं। उद्योग धंधे बंद हैं। एक प्रकार से लोगों का खुद का जीवन भी घर की चाहरदीवारी में बंद है। ऐसे में रविवार को प्रकृति ने अपना रौद्र रूप दिखाया है। उससे लोग डर गए हैं। सहमें लोगों वे लोग भी शामिल हैं जिनकी आयु सौ साल के आस पास है, वे कहते हैं कि उन्होंने अपने जीवन में प्रकृति का इतना डरायवना और रौद्ररूप कभी नहीं देखा। पहले वर्ष की कोरोना महामारी से शुरूआत और अब इस मौसम में बारिश का ताड़व, सबको चिंता में डालने वाला है।

स्मरण रहे कि बीते दिवस जो आंधी तूफान आया था, उससे पहले ही एक ऐसा अंधेरा छाया, जिससे हर कोई सहम गया। इतना ही नहीं जो खुद को मजबूत और पत्थर दिल वाला कहता था, उसके चेहरे पर खौफ साफ दिखा। खासकर सितारगंज, शक्तिफार्म वालों के लिए तो यह और चिंता करने वाला था। जिस तरह से प्रकृति ने अपना रौद्र रूप रविवार को दिखा है यदि ऐसा ही मानसून में दिखाया तो निश्चिततौर पर यहां किसी बड़ी क्षति की संभावनाओं से इंकार नहीं किया जा सकता हेै। मालूम हो कि यह क्षेत्र वैसे भी बाढ़ग्रसत है और हर वर्ष यहां के लोग बाढ़ की विभिषिका से जुझते हैं। प्रशासन को इसके लिए सर्तक और सजग रहना होगा, ऐसा हमें लगता है।

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