Almora : वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता गिरीश जोशी पंचतत्व में विलीन, शोक की लहर

सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ा वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता वन बचाओ जैसे विभिन्न जन आंदोलनों में सक्रिय भागीदारी निभाने वाले गिरीश जोशी का आकस्मिक निधन हो गया। उन्होंने…

सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ा

वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता वन बचाओ जैसे विभिन्न जन आंदोलनों में सक्रिय भागीदारी निभाने वाले गिरीश जोशी का आकस्मिक निधन हो गया। उन्होंने आज बेस अस्पताल में अंतिम सांस ली। उनका अत्यंत गमगीन माहौल में विश्वनाथ घाट में अंतिम संस्कार किया गया।

उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी के केंद्रीय अध्यक्ष पीसी तिवारी ने श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि वन बचाओ जैसे विभिन्न जन आंदोलनों, उत्तराखंड संघर्ष वाहिनी एवं उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी के सहयोगी रहे माला भवन अल्मोड़ा के गिरीश जोशी का आज बेस अस्पताल अल्मोड़ा में निधन हो गया। वे पिछले कुछ समय से बीमार थे। गिरीश जोशी एक अध्ययनशील, आध्यात्मिक प्रवृति के अविवाहित प्रबुद्ध व्यक्ति थे। उत्तराखंड में सामाजिक बदलाव के लिए चलने वाले जन आंदोलनों के साथियों से उनका गहरा लगाव रहता था। पीसी तिवारी ने कहा कि वह बड़े भाई व मार्गदर्शक की तरह थे। उनका निधन एक अपूरणीय क्षति है।

इधर आज गिरीश जोशी की पार्थिव देह को नगर के सामाजिक कार्यकर्ताओं, वरिष्ठ नागरिकों ने मुखाग्नि दी। जिसमें एडवोकेट दिवान धपोला, पीसी तिवारी, पप्पू बिष्ट, गणेश भट्ट, किशन गुर्रानी, पंकज भट्ट आदि शामिल थे। इस अवसर पर शोक सभा का आयोजन भी किया गया। जिसमें उलोवा नेता एडवोकेट जगत रौतेला ने कहा कि गिरीश जोशी बेहद मिलनसार व अध्ययनशील व्यक्ति थे। आन्दोलनो में उनकी भूमिका रहती थी। उलोवा के दयाकृष्ण काण्डपाल ने बताया कि विगत कई दिनों से उनका स्वास्थ खराब था। रवैल कपूर ने उन्हें अस्पताल मे भर्ती कराया। तब से उनका अस्पताल मे उपचार चला। इस दौरान नगर के गण्यमान्य लोगों ने उनकी अस्पताल मे देखरेख का जिम्मा उठाया। जिसमें दयाकृष्ण काण्डपाल, रवैल कपूर, पीसी तिवारी, मौ. कमाल, गणेश जोशी, किशन गुर्रानी, पप्पू बिष्ट, एडवोकेट दिवान धपोला, पालिकाध्यक्ष प्रकाश जोशी प्रमुख रूप से शामिल रहे। इस बीच उनकी भतीजी रचना जोशी दिल्ली से लगातार उनका हाल—चाल पूछती रही, पर उपचार के दौरान कोई भी पारिवारिक व्यक्ति मौजूद नहीं था। एडवोकेट दिवान धपोला ने क्षय रोग से पीड़ित गिरीश जोशी को बेस अस्पताल मे भर्ती कराया था। अन्त समय मे वे ही उनके साथ थे।

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