सीएनई रिपोर्टर, बागेश्वर
जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान में आजादी का अमृत महोत्सव और हिंदी पखवाड़े के तहत ‘स्वाधीनता संग्राम में हिंदी’ विषयक विचार गोष्ठी और कवि सम्मेलन आयोजित हुआ। उन्होंने कहा कि हिंदी ने स्वतंत्रता आंदोलन में एक भाषा ही नहीं अपितु एक योद्धा के रूप में अपनी भूमिका निभाई।
भाषा उत्कृष्टता केंद्र के तत्वावधान में आयोजित संगोष्ठी में प्राचार्य डा. शैलेंद्र धपोला ने कहा कि हिंदी साहित्य ने स्वतंत्रता के आंदोलन को जन-जन तक पहुंचाया। संचालक डा. केएस रावत ने कहा कि हिंदी ने पूर्व, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण को जोड़कर स्वतंत्रता आंदोलन को एक सूत्र में बांधा।
डा. केएस कांडपाल ने हिंदी के संवैधानिक पहलू और डा. गोपाल कृष्ण जोशी ने हिंदी के संप्रेक्षण पर प्रकाश डाला। इस दौरान आयोजित काव्य गोष्ठी में डा. जितेंद्र तिवारी ने जागृति फैलाते रहें, कविताओं से ओज, कलम आज उनकी, जय बोल कराते खोज, दीप पांडे ने वंदना घड़ी-घड़ी मां तुझे पुकारे, सुन ले मेरी पुकार, हे जगजननी वंदन बारंबार, विनोद प्रकाश ने पहाड़ों का एक अलग आसमान, एक अलग धतरी होती है।
गोपाल कृष्ण ने हिंदी है ये भाषा जननी, चित विकार अमंगल हरनी आदि काव्य पाठ किया। इस दौरान डा. राजीव जोशी, किशन मलड़ा आदि मौजूद थे।