रामनगर। यहां फौज में भर्ती की तैयारी कर रहे दर्जनों युवकों की एडवांस कोरोना निगेटिव रिपोर्ट ने स्वास्थ्य महकमे की नींद उड़ा कर रख दी है। कोविर्ड 19 के नोडल अधिकारी डा. प्रशांत कौशिक स्वयं नहीं समझ पा रहे हैं कि इतना बड़ा घोटाला उनकी मोहर लगा कर कौन कर गया। फिलहाल इस मामले को लेकर वे पुलिस के पास नहीं पहुंचे हैं लेकिन उनका दावा है कि इस फर्जीवाड़े के खिलाफ वे रामनगर कोतवाली में रिपोर्ट दर्ज कराएंगे।
दरअसल पीरूमदारा के यूथ फाउंडेशन में सेना में भर्ती की तैयारी कर रहे दर्जनों युवक आज रामनगर में नोडल अधिकारी के कार्यालय जा पहुंचे। उनके हाथों में ऐसे प्रमाण पत्र थे जिनमें उन्हें कोविड निगेटिव बताया गया था।
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नीचे नोडल अधिकारी के हस्ताक्षर भी थे। हैरत वाली बात यह है कि प्रमाणपत्र पर 27 दिसंबर 2020 की तारीख डाली गई है। जबकि आज जब मामला सामने आया है तो 21 दिसंबर ही है। प्रमाण पत्रों में नोडल अधिकारी की मुहर तो लगी है लेकिन हस्ताक्षर किसी अन्य व्यक्ति ने किए हैं।
कोविड 19 नोडल अधिकारी डा. प्रशांत कौशिक ने बताया कि इन प्रमणपत्रों पर न तो उन्होंने हस्ताक्षर किए हैं और न ही उनके कार्यालय से मुहर ही लगाई गई है। उनका दावा है कि यह प्रमाणपत्र पूरी तरह से फर्जी हैं। इसलिए वे इसकी शिकायत पुलिस थाने में कराने की तैयारी कर रहे हैं।
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दूसरी ओर युवकों ने दावा किया है कि पीपीपी मोड में दिए गए राजकीय सामुदायिक केंद्र रामनगर से यह प्रमाणपत्र जारी किए गए हैं। इसकी एवज में लड़कों से पांच सौ से एक हजार रुपये भी वसूले गए। जबकि डा. कौशिक का कहना है कि पीपीपी मोड में दिए गए चिकित्सालय में कोविड की सैंपलिंग हो ही नहीं रही है। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग ने अलग व्यवस्था की है।