ऋषिकेश : लक्कड़घाट प्लांट में लीक हुआ क्लोरीन सिलेंडर, SDRF और प्लांट कर्मचारियों ने पाया काबू
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ऋषिकेश | तीर्थनगरी ऋषिकेश और आसपास क्षेत्र के सीवर ट्रीटमेंट करने वाले लक्कड़ घाट श्यामपुर स्थित सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट में अचानक घातक क्लोरीन गैस का रिसाव हो गया। प्लांट का रखरखाव करने वाली कंपनी जीडीसीएल के नियंत्रण से जब मामला बाहर जाने लगा तो फायर ब्रिगेड और एसडीआरएफ को बुलाया गया। करीब दो घंटे तक कड़ी मशक्कत के बाद रिसाव पर काबू पाया गया। इस बीच समीप स्थित आबादी में रहने वाले लोगों की सांसे अटकी रही।
लक्कड़घाट श्यामपुर क्षेत्र में 26 एमएलडी क्षमता वाला सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट बना हुआ है। जिसके विस्तारीकरण के बाद अगले 15 वर्षों तक इसके रखरखाव का जिम्मा EMIT कंपनी के पास है। शुक्रवार की सुबह एसडीआरएफ मुख्यालय को फायर सर्विस ऋषिकेश ने सूचना दी कि लक्कड़ घाट के पास स्थित इस सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट में लगा हुआ। जिसमें क्लोरीन गैस के सिलिंडर में रिसाव हो रहा है। प्लांट के आसपास करीब 150 घर स्थित हैं। गैस रिसाव की महक आबादी तक पहुंची। वहां हड़कंप मच गया।
सूचना पर पोस्ट ढालवाला से इंस्पेक्टर कवीन्द्र सजवाण के नेतृत्व में एसडीआरएफ टीम तत्काल मौके के लिए रवाना हुई। साथ ही वाहिनी मुख्यालय से सीबीआरएन रेस्क्यू टीम भी मौके के लिए रवाना किया गया। घटनास्थल पर एक क्लोरीन गैस का सिलिंडर लीक हो रहा था। मौके पर मौजूद फायर सर्विस, एसडीआरएफ व प्लांट के कर्मचारियों ने कड़ी मशक्कत करते हुए गैस रिसाव पर काबू पाया। किसी प्रकार की कोई जनहानि नहीं हुई। लीक सिलिंडर को हाइड्रा की मदद से पानी के टैंक में डाल दिया गया। इसके बाद आसपास क्षेत्र में स्थित आबादी के लोगों ने राहत की सांस ली।
कंपनी की लापरवाही आई सामने
श्यामपुर लकड़घट के पास स्थित 26 MLD सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट में क्लोरीन गैस रिसाव के बाद कंपनी की लापरवाही भी सामने आई है। मिली जानकारी के अनुसार संभवतः सिलेंडर का वॉल कटने की वजह से गैस लीक हुई थी। कंपनी के द्वारा अगर समय-समय पर देखरेख होती तो शायद इस तरह की घटना सामने नहीं आती। वहीं फौरी तौर पर प्लांट में सेफ्टी के इंतजार भी कम नजर आए।
नमामि गंगे के प्रोजेक्ट मैनेजर एस के वर्मा ने बताया क्लोरीन गैस के टैंक में ज्वाइंट से गैस का रिसाव हो रहा था। इसकी जानकारी मिलने के बाद एसडीआरएफ ने मौके पर जाकर घटना पर काबू पाया। हैरानी की बात यह है कि नमामि गंगे के प्रोजेक्ट मैनेजर को इस बात की जानकारी भी नहीं थी कि एक सिलेंडर में कितनी गैस होती है। इसके साथ ही कितनी गैस लीक हुई है इसकी जानकारी भी उनके पास नहीं थी।
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