रेलवे ब्रेकिंग : बीएमएस तकनीक पर आधारित ब्रिज बनवा रहा रेलवे

गोरखपुर। पूर्वोत्तर रेलवे प्रशासन नई तकनीकों को अपनाकर अपनी कार्य प्रणाली एवं कार्य कुशलता में गुणात्मक सुधार लाने का निरन्तर प्रयास कर रहा है। इस…

गोरखपुर। पूर्वोत्तर रेलवे प्रशासन नई तकनीकों को अपनाकर अपनी कार्य प्रणाली एवं कार्य कुशलता में गुणात्मक सुधार लाने का निरन्तर प्रयास कर रहा है। इस परिप्रेक्ष्य में पूर्वोत्तर रेलवे सम्पूर्ण डिजिटलीकरण की ओर अग्रसर है। संरक्षित रेल संचलन में रेल पुलों के अनुरक्षण एवं रख-रखाव का विशेष महत्व है। पूर्वोत्तर रेलवे द्वारा पुलों के उत्कृष्ट एवं संरक्षित रख-रखाव के लिये सम्पूर्ण भारतीय रेल स्तर पर विकसित ब्रिज मैनेजमेन्ट सिस्टम (बी.एम.एस.) का प्रयोग प्रारम्भ कर दिया है।
बी.एम.एस. एक वेब आधारित पोर्टल है जिसमें रेल पुल से संबंधित सभी विवरण उपलब्ध होते है तथा यह पुलों के निरीक्षण, माॅनिटरिंग एवं अनुरक्षण में बहुत ही कारगर है। बी.एम.एस. में सभी रेल पुलों से संबंधित छोटे से बड़े सभी विवरण एवं आंकड़ा उपलब्ध रहते हैं जैसे- पुलों के बनने की तारीख, सुपर स्ट्रक्चर की तिथि एवं इसे स्थापित करते समय प्रयुक्त तकनीक एवं सामग्री का विवरण समय-समय पर हुए सुधार, पुल की वर्तमान स्थिति, विभिन्न निरीक्षणों की तिथि, नक्शा, फोटोग्राफ्स एवं अन्य विवरण सम्बन्धित सारी जानकारी रहती है।
यह पोर्टल रेल पुलों से सम्बन्धित सभी पक्षों का अर्थपूर्ण विषश्लेषण एवं जानकारी की उपलब्धता का एक महत्वपूर्ण प्लेटफार्म है। बी.एम.एस. सेन्टर फाॅर रेलवे इन्फाॅर्मेशन सिस्टम (क्रिस) द्वारा विकसित किया गया है। इसके माध्यम से समस्त रेल पुलों की अद्यतन जानकारी सभी संबंधित अधिकारियों को आनलाइन उपलब्ध रहती है जिसमें सुधारात्मक कार्यवाही करने तथा रेल पुलों को संरक्षित रखने में सहायता मिलती है। इस नई तकनीक को अपनाने से तत्काल निर्णय लेने एवं अपेक्षित कार्यवाही करने में रेल प्रशासन पहले की तुलना में अधिक सक्षम हो गया है।
ज्ञातव्य है कि पूर्वोत्तर रेलवे पर कुल 25 महत्वपूर्ण रेल पुल, 383 वृहद पुल तथा 3537 छोटे पुल है। बी.एम.एस. प्रणाली के प्रयोग से पहले हजारों की संख्या में इन पुलों के समस्त आंकड़े एवं विवरण का संकलन मुष्किल होता था। प्रत्येक पुल का अलग रजिस्टर होता था जिसमें सारे विवरणों का उल्लेख मैनुअली किया जाता था। इस कार्य में अधिक समय लगता था। किसी भी रेल पुल की स्थिति का विष्लेषण करने में उससे संबंधित रजिस्टर को बारी-बारी से अनेक अधिकारियाें को भेजना पड़ता था। बी.एम.एस. के लागू हो जाने से इन सभी समस्याओं से निजात मिल गई है तथा प्रभावी निर्णय समय से लेने की दक्षता बढ़ी है।
उल्लेखनीय है कि कोविड-19 के परिप्रेक्ष्य में भी बी.एम.एस. प्रणाली बहुत ही उपयोगी है। मैनुअल सिस्टम में रेल पुलों के रजिस्टरों को अनेक स्थलों पर भेजने से संक्रमण की संभावना बनी रहती है जबकि बी.एम.एस. प्रणाली में ऐसी कोई भी आशंका नहीं है। विविद हो कि पूर्वोत्तर रेलवे पर ई-आफिस का प्रयोग भी आरम्भ किया जा चुका है।

                                                                             

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