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अल्मोड़ा: रामकृष्ण कुटीर में पूजा, हवन, भोग, आरती व पुष्पांजलि

✍🏿 भगवान रामकृष्ण परमहंसा का जन्मोत्सव हर्षोल्लास से मनाया
✍🏿 रामकृष्ण परमहंस देव के जीवन व​ शिक्षा को दुर्लभ बताया

सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ा: आज रामकृष्ण कुटीर के अल्मोड़ा स्थित परिसर में भगवान रामकृष्ण परमहंस का 189वां जन्मोत्सव हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। इस उपलक्ष्य में कुटीर में पूजा अर्चना, हवन, भोग, आरती व पुष्पांजलि के कार्यक्रम हुए। वहीं अपने संबोधन में रामकृष्ण कुटीर के अध्यक्ष स्वामी ध्रुवेशानंद महाराज ने अपने संबोधन में रामकृष्ण परमहंस देव के जीवन और उनकी शिक्षा को दुर्लभ बताया।

रामकृष्ण मिशन की प्रेरणा और आदर्श पुंज रामकृष्ण देव के जन्मोत्सव पर प्रातः बेला में साधुजनों ने मंगल आरती के साथ ही वैदिक मंत्रोच्चारण किया। इसके उपरांत विशेष पूजा अर्चना व हवन आयोजित हुआ। भोग आरती के बाद स्थानीय और देश के अलग अलग हिस्सों से आए भक्तजनों ने पुष्पांजलि दी। अपराह्न में भंडारा आयोजित किया गया। इस दौरान आश्रम परिसर में आध्यात्मिक पुस्तकों तथा सारदा मठ के स्वयंसेवियों ने स्थानीय ऊनी उत्पादों का स्टॉल भी लगाया।

इस मौके पर रामकृष्ण कुटीर के अध्यक्ष स्वामी ध्रुवेशानंद महाराज ने अपने संबोधन में रामकृष्ण परमहंस देव के जीवन और शिक्षा को दुर्लभ बताया और कहा कि उनके सर्वधर्म समभाव, प्रेम और आध्यात्मिक संदेशों के लिए स्वामी विवेकानंद ने रामकृष्ण मिशन के माध्यम से मानवीय सेवा और त्याग की परंपरा स्थापित की। उन्होंने कहा कि अल्मोड़ा और स्वामी विवेकानंद का हिमालय और अल्मोड़ा प्रेम इतिहास के स्वर्णिम पन्नों में अंकित है। चार बार के अपने कुमाऊं प्रवास को उन्होंने अपने जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा बताया। आज स्वामी जी के मानव सेवा के माध्यम से आध्यात्मिक पथ को अपनाने की नितांत आवश्यकता को उन्होंने व्यक्त किया।

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