पहाड़ की बेटी ने फिर बढ़ाया देवभूमि का मान, राष्ट्रपति ने किया हॉकी खिलाड़ी वंदना कटारिया को अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित

हरिद्वार। टोक्यो ओलंपिक में शानदार प्रदर्शन करने वाली हॉकी स्टार खिलाड़ी वंदना कटारिया को अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने…


हरिद्वार। टोक्यो ओलंपिक में शानदार प्रदर्शन करने वाली हॉकी स्टार खिलाड़ी वंदना कटारिया को अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शनिवार को राष्ट्रपति भवन में वंदना को अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया। इसी के साथ उत्तराखंड के खाते में भी इस वर्ष अर्जुन पुरस्कार जुड़ गया है। वंदना को यह सम्मान ओलंपिक खेलों में उनके शानदार ऐतिहासिक प्रदर्शन के देखते हुए दिया गया।

गौरतलब है कि वंदना ने टोक्यो ओलम्पिक खेलों में भारत की तरफ से दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ हैटट्रिक लगायी थी। हैटट्रिक लगाकर वंदना ने न सिर्फ टोक्यो ओलम्पिक में नया इतिहास रचा था बल्कि उन्हें यह कारनामा करने वाली पहली भारतीय महिला हॉकी खिलाड़ी बनने का गौरव भी प्राप्त हुआ था। उनके इस शानदार प्रदर्शन ने उन्हें दुनिया का सबसे चर्चित खिलाड़ी बना दिया था। वंदना ने 2018 के एशियाई खेलों में रजत पदक जबकि 2017 के एशियाड में स्वर्ण पदक जीता था। वंदना की उपलब्धियों पर हरिद्वार में वंदना का भव्य स्वागत हुआ था। प्रदेश सरकार ने उन्हें ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ का ब्रांड एंबेसडर घोषित कर दिया था। इसके अलावा उन्हें 25 लाख का नकद पुरस्कार दिया था।

गौरतलब है कि साल 2015 में भी वंदना को अर्जुन पुरस्कार देने की संस्तुति की गयी थी। लेकिन उस समय अर्जुन अवार्ड के लिए उनका चयन नहीं किया गया था।

आसान नहीं था यह सफर
उत्तराखंड में हरिद्वार जिले के छोटे से क्षेत्र रोशनाबाद से आती हैं वंदना कटारिया। वंदना का पूरा परिवार रोशनाबाद में ही रहता है। भेल हरिद्वार से रिटायर होने के बाद उनके पिता नाहर सिंह ने रोशनाबाद में ही दूध का व्यवसाय शुरू किया। वंदना के हॉकी के सफ़र की शुरुआत रोशनाबाद से ही हुई।

जब वंदना कटारिया ने हॉकी कि दुनिया में कदम रखा तो गांव वालों ने उनके परिवार का खूब मजाक उड़ाया। वंदना और उनके परिवार को गांव वालों के ताने सुनने को मिले पर पिता के साथ ने वंदना के कदमों को खूब मजबूती दी। वंदना कटारिया की मां सरणा देवी ने भी कभी लोगों की बातों की परवाह न की।

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रोशनाबाद में खेलों को बुनियादी सुविधाएं तक नहीं थी। वंदना को न खेल का मैदान मिला न साथ में खेलने को साथी। वंदना ने इसका भी उपाय निकाला और शुरुआती दौर में लड़कों के साथ ही प्रैक्टिस शुरू कर दी। परिवार को इसके लिये भी समाज के ताने सुनने पड़े। वंदना कटारिया ने अपने खेल को मजबूती देने के लिए प्रोफेशनल तौर पर मेरठ से शुरुआत की। खबरें वही जो समय पर मिले, तो जुड़िये हमारे WhatsApp Group से Click Now

जब वंदना टोक्यो ओलिंपिक की तैयारियों में जुटी हुई थी तभी उनके गांव में उनने पिता का निधन हो गया। पिता के निधन के समय वंदना कटारिया बंगलौर में थी। पिता के निधन पर वह गांव न लौट सकी पर दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ हुए मैच में शानदार प्रदर्शन कर पिता को श्रद्धांजलि दी। अब अर्जुन पुरस्कार के लिए चयनित होकर वंदना ने अपने पिता का एक और सपना पूरा किया है।

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