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Uttarakhand : योग को जन जन तक पहुंचाने में रामदेव के योगदान को राष्ट्रपति ने सराहा

हरिद्वार। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने योग और आयुर्वेद जैसे प्राचीन भारतीय ज्ञान के देश विदेश में नये सिरे से परिभाषित करने में पतंजलि योगपीठ के योगदान की सराहना करते हुए आज कहा कि इसने किसी समय तपस्वियों और संन्यासियों का विषय समझे जाने वाले योग को जन जन तक आसान ढंग से पहुंचा दिया है।

राष्ट्रपति ने यहां पतंजलि विश्वविद्यालय के नवनिर्मित परिसर के उद्घाटन एवं प्रथम दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए यह बात कही। समारोह में उत्तराखंड के राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) गुरमीत सिंह, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, राज्य के उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत भी उपस्थित थे। पतंजलि विश्वविद्यालय के कुलाधिपति स्वामी रामदेव, कुलपति आचार्य बालकृष्ण और कुलानुशासिका साध्वी देवप्रिया भी मंच पर मौजूद थी।

राष्ट्रपति ने विश्वविद्यालय से स्नातक, स्नातकोत्तर एवं पीएचडी की उपाधियां हासिल करने वाले करीब 700 छात्र-छात्राओं को उपाधियां प्रदान की और अनेक विद्यार्थियों को स्वर्ण पदक हासिल करने को पदक प्रदान किए तथा उनका आह्वान किया कि वे स्वाध्याय में आलस्य एवं प्रमाद छोड़ कर अनामय कोश, मनोमय कोश और प्राणमय कोश को जाग्रत करें और विज्ञानमय कोश एवं आनंदमय कोश की यात्रा पर आगे बढ़ें। वे करुणा एवं सेवा के आदर्श में चरित्र को ढाल कर समाज सेवा करें।

राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि योग और आयुर्वेद के प्रचार-प्रसार में पतंजलि योगपीठ का योगदान अभूतपूर्व है। पतंजलि ने इसे जन जन के कल्याण का वास्तविक माध्यम बना दिया। उन्होंने कहा कि पहले हम मानते थे कि योग तपस्वियों और साधु संन्यासियों का मामला है। जो घर छोड़ कर साधना करते हैं, वही योग कर सकते हैं। पर बाबा रामदेव ने योग की वह परिभाषा ही बदल दी। उनके कारण आज जन जन योग करता दिखाई देता है। राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि कुछ लोगों की यह गलत धारणा थी कि है कि योग किसी एक संप्रदाय का है। आज हर विचारधारा के लोगों ने योग को अपनाया है।

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उन्होंने सूरीनाम, क्यूबा और सऊदी अरब के अनुभव साझा करते हुए कहा कि पतंजलि विश्वविद्यालय का प्रयास है कि प्राचीन ज्ञान विज्ञान योग आयुर्वेद को विश्व पटल पर गौरवशाली स्थान मिले। उन्होंने कहा कि आज दुनिया के अनेक देशों में भारत के ज्ञान विज्ञान इंडोलॉजी का अध्ययन किया जा रहा है। भारत ज्ञान की महाशक्ति बने, इस दिशा में पतंजलि अग्रसर है। स्वदेशी उद्यमिता के विचार को भावी पीढ़ी को सिखाना है। भारतीयता आधारित उद्यमिता और उद्यमिता आधारित भारतीयता का विकास हो रहा है।

कोविंद ने कहा कि 21वीं सदी में भारत के उदय में पतंजलि का विशेष योगदान है। पतंजलि विश्वविद्यालय में अंतरराष्ट्रीय विद्यार्थियों की एक विशेष सेल या प्रकोष्ठ है। यहां अन्य देशों के छात्र-छात्राओं को प्रवेश दिया जाता है जो अपने अपने देशों में भारतीय ज्ञान विज्ञान और विद्या के ब्रांड एम्बेसेडर बनने वाले हैं।

इस मौके पर राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल सिंह ने कहा कि विश्वविद्यालय के छात्र लीक से हटकर सोचें और समस्याओं के अनपेक्षित एवं असीमित समाधान खोज कर सामने लाएं। उन्होंने यहां के छात्र-छात्राओं को भारतीय संस्कृति का संरक्षक बताते हुए कहा कि इस महान उत्तरदायित्व के साथ वे सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय की भावना से काम करें।

मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि स्वामी रामदेव और पतंजलि ने योग के माध्यम से विश्व को भविष्य का मार्ग दिखाया है। विश्वविद्यालय के कुलाधिपति स्वामी रामदेव ने राष्ट्रपति कोविंद सहित सभी मेहमानों का स्वागत करते हुए कहा कि 2006 से चल रहे विद्यादान के इस यज्ञ में यह पहला अवसर आया है कि जब भारत माता के शीश को गौरवान्वित करने वाली पहली श्रृंखला तैयार हो कर समाज में जा रही है। इन्हें सभी क्षेत्रों में भारतीय संस्कृति का ध्वजवाहक बन कर कार्य करना है।

स्वामी रामदेव ने कहा कि आगे चलकर पतंजलि वैश्विक विश्वविद्यालय दुनिया का सबसे बड़ा विश्वविद्यालय बनेगा जहां एक लाख बच्चे पढेंगे और नालंदा, तक्षशिला का नवाचार और नया अवतार के रूप में इसे प्रकट करेंगे। उन्होंने कहा कि पतंजलि में उनका राष्ट्र धर्म को गौरव दिलाने वाला यज्ञ चलता रहेगा। स्वागत भाषण आचार्य बालकृष्ण ने दिया। राष्ट्रपति ने बाद में पुरस्कार हासिल करने वाले विद्यार्थियों के साथ तस्वीर भी खिंचवाई।

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