उत्तराखंड में भू-कानून लाने की तैयारी, मुख्यमंत्री धामी बोले…

देहरादून | उत्तराखंड सरकार प्रदेश में सशक्त भू-कानून की दिशा में आगे बढ़ने लगी है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस और साफ इशारा किया…

उत्तराखंड में भू-कानून लाने की तैयारी, मुख्यमंत्री धामी बोले...

देहरादून | उत्तराखंड सरकार प्रदेश में सशक्त भू-कानून की दिशा में आगे बढ़ने लगी है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस और साफ इशारा किया है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार अगले बजट सत्र में सशक्त भू-कानून लेकर आएगी। दरअसल आज मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भू-कानून से संबंधित प्रेस कॉन्फ्रेंस की। जिसमें उन्होंने प्रदेश में भूमि खरीद से संबंधित मसले पर बात रखी।

250 वर्ग मीटर से ज्यादा भूमि वाले की जांच होगी

मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड में नगर निकाय क्षेत्र से बाहर ढाई सौ वर्ग मीटर भूमि कोई भी व्यक्ति बिना अनुमति खरीद सकता है। लेकिन ऐसा संज्ञान में आया है कि एक ही परिवार में अलग-अलग नामों से भूमि खरीदकर प्रावधानों का उल्लंघन किया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि हम इसकी जांच करायेंगे और जिन भी व्यक्तियों ने ऐसा किया है उनकी भूमि राज्य सरकार में निहित की जाएगी।

भू-कानून कर मूल निवास के मुद्दे पर सरकार संवेदनशील

मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी सरकार भू-कानून एवं मूल निवास के मुद्दे को लेकर संवदेनशील है। हम अगले बजट सत्र में उत्तराखंड की भौगोलिक परिस्थितियों के अनुरूप एक वृहद भू कानून लाने का प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार मार्च 2021 से अब तक लंबे समय से चले आ रहे विभिन्न मामलों का निस्तारण हमारी सरकार ने ही किया है, उसी प्रकार मैं, उत्तराखंड की जनता को यह विश्वास दिलाता हूं कि भू कानून के मुद्दे का समाधान भी हमारी सरकार ही करेगी।

लैंड बैंक बनाने वाली की भी कराई जाएगी जांच

मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि राज्य में जिन भी व्यक्तियों ने पर्यटन, उद्योग आदि व्यवसायिक गतिविधियों के लिए अनुमति लेकर भूमि खरीदी है। लेकिन उस भूमि का उपयोग इस प्रयोजन में नहीं किया, ऐसी जमीनों का विवरण तैयार करा रहे हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे लोगों के विरुद्ध भी सख्त कार्यवाही की जायेगी और उनकी जमीनें राज्य सरकार में निहित की जाएगी।

मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि यह भी जानकारी में आया है कि भूमि खरीद संबंधी नियमों में 2017 में जो बदलाव किए गए थे, उनका परिणाम सकारात्मक नहीं रहा है। उन्होंने कहा कि ऐसे प्राविधानों की समीक्षा की जायेगी और आवश्यक हुआ तो इन प्राविधानों को समाप्त कर दिया जाएगा।

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