सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ा
दुर्घटना कभी भी हो सकती है, बीमारी का भी कोई समय नहीं, लेकिन राजकीय जिला चिकित्सालय अल्मोड़ा की छुट्टी का निश्चित समय है। हर रविवार यहां अवकाश रहता है। यानी छुट्टी के इस दिन अस्पताल आने वाले मरीजों की जिंदगी बचने की कतई भी गारंटी नहीं है। यदि कोई मरीज यहां संडे को आये तो उसे मंडे तक इंतजार करना पड़ेगा।
दरअसल, रेडक्रास सोसाइटी अल्मोड़ा की ओर से भी यह मुद्दा उठाया गया है। संगठन के अध्यक्ष मनोज सनवाल ने जिला अस्पताल के पीसीएमएस को दिए गये ज्ञापन में कहा है कि जिला अस्पताल अल्मोड़ा में आये दिन मरीजों के साथ लापरवाही हो रही है। उन्होंने कहा कि यदि रविवार के दिन कोई मरीज आकस्मिक स्थिति में पहुंचता है तो उसका सुधलेवा कोई नहीं है। उन्होंने कहा कि नगर व आस—पास होने वाली दुर्घटनाओं, आकस्मिक स्थिति के अलावा आये दिन बंदर व आवारा कुत्तों द्वारा काटे जाने की घटनायें देखने में आ रही हैं।
मनोज सनवाल ने कहा कि कि यदि रविवार के रोज कोई बंदर या कुत्ते द्वारा काटा मरीज आता है तो उसे रैबीज इंजेक्शन तक नहीं लग पाते हैं और सोमवार को आने की सलाह दी जाती है। उन्होंने अस्पताल प्रशासन से मांग करी कि रविवार व अन्य सार्वजनिक अवकाशों के दिन भी अल्मोड़ा के सरकारी अस्पतालों में चिकित्सकों की व्यवस्था की जाये, ताकि आकस्मिक स्थिति में किसी मरीज के साथ बुरा नहीं हो। इसके अलावा यह भी जरूरी है कि मरीजों को दवा भी अस्पताल व जन औषधी केंद्र में ही उपलब्ध कराई जायें।