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हल्द्वानी ब्रेकिंग : राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग पहुंचा गफूरबस्ती-वनभूलपुरा के लोगों की बेदखली का मामला

हल्द्वानी। जमीन से बेदखली को लेकर गफूर बस्ती और वनभूलपुरा के लोगों का विवाद राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग पहुंच गया है। हल्द्वानी शहर के आरटीआई कार्यकर्ता सैफ अली सिद्दीकी ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को पत्र लिखा है। इसमें उन्होंने रेलवे प्रशासन द्वारा जो 1581 परिवारों की बेदखली और गफूर बस्तीवासियों के उत्पीड़न व उनके मानवाधिकारों के उल्लंघन की शिकायत की है।

सैफ ने पत्र में लिखा है कि हल्द्वानी की गफूर बस्ती रेलवे स्टेशन की सीमा से गौजाजाली तक की भूमि पर वर्तमान में लगभग 60,000 हजार लोग रहते हैं, परंतु रेलवे विभाग द्वारा उक्त क्षेत्र की भूमि पर अपना दावा किया जाता रहा है।
उन्होंने पत्र में लिखा है कि वर्ष 2007 मे भी रेलवे विभाग द्वारा उक्त क्षेत्र के लगभग 1500-2000 परिवारों को उजाड़ दिया गया था इसके उपरांत 2017 में भी रेलवे विभाग द्वारा उक्त बस्ती के लोगो को पीपीई एक्ट के अंतर्गत नोटिस जारी किये थे, जिससे की उक्त बस्ती के लोग मानसिक रूप से परेशान हैं।

उन्होंने पत्र में लिखा है कि उनके द्वारा रेलवे विभाग से उक्त क्षेत्र की भूमि का गजट नोटिफिकेशन सूचना का अधिकार अधिनियम-2005 के अंतर्गत मांगा गया तो रेलवे द्वारा उनको भूमि गजट नोटिफिकेशन आज तक उपलब्ध नहीं कराया गया। उन्होंने पत्र में आगे कहा कि वर्ष 2017 में तत्कालीन जिलाधिकारी नैनीताल दीपक रावत द्वारा भी रेलवे विभाग से भूमि गजट नोटिफिकेशन लाने की मांग की गई थी लेकिन उन्हें भी रेलवे विभाग द्वारा भूमि का गजट नोटिफिकेशन उपलब्ध नहीं कराया गया।

सैफ ने बताया कि उनके द्वारा सूचना का अधिकार अधिनियम-2005 के अंतर्गत रेलवे विभाग एवं जिला प्रशासन नैनीताल से उक्त भूमि का स्थलीय निरीक्षण कराने हेतु सूचना मांगी गई थी लेकिन उनको आज तक भूमि का निरीक्षण नही कराया गया है उन्होंने कहा कि आये दिन रेलवे विभाग उक्त क्षेत्र की बस्ती को तोडने हेतु परेशान करता है। उन्होंने कहा कि रेलवे विभाग द्वारा उक्त क्षेत्र के लोगों का उत्पीड़न किया जा रहा है।

सिद्दीकी ने आयोग को लिखे पत्र में नगर निगम हल्द्वानी के पत्र का जिक्र करते हुए लिखा है कि सहायक अभियन्ता नगर निगम हल्द्वानी द्वारा उनको बताया गया कि हल्द्वानी की गफूर बस्ती रेलवे स्टेशन की सीमा से गौजाजाली तक की भूमि मामले में रेलवे विभाग एवं राज्य सरकार द्वारा नजूल भूमि के प्रबंधक एवं सक्षम उच्चाधिकारियों तथा प्रभागीय वनाधिकारी तराई केन्द्रीय वन प्रभाग हल्द्वानी के उच्चाधिकारियों के दिशा निर्देशन में संयुक्त पैमाईश नहीं की जाती तब तक यह स्पष्ट रूप से नहीं कहा जा सकता कि प्रश्नगत भूमि नजूल भूमि है, अथवा रेलवे की भूमि है। उन्होंने आगे लिखा है कि उक्त क्षेत्र की भूमि नजूल और रजिस्ट्री की है,रेलवे विभाग द्वारा क्षेत्र के लोगों को इस तरह बेदखल करना मानवाधिकारों का स्पष्ट उल्लंघन है।

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