Bageshwar Breaking: सांस्कृतिक जुलूस के साथ कुमाउंनी भाषा का राष्ट्रीय सम्मेलन का आगाज, तीन दिन चलेगा कुमाउंनी के विकास व संरक्षण पर मंथन

सीएनई रिपोर्टर, बागेश्वरतीन दिवसीय राष्ट्रीय कुमाउंनी भाषा सम्मेलन का आज यहां सांस्कृतिक जुलूस के साथ आगाज हो गया। सम्मेलन में देश के विभिन्न क्षेत्रों से…

सीएनई रिपोर्टर, बागेश्वर
तीन दिवसीय राष्ट्रीय कुमाउंनी भाषा सम्मेलन का आज यहां सांस्कृतिक जुलूस के साथ आगाज हो गया। सम्मेलन में देश के विभिन्न क्षेत्रों से लेखक, कवि व भाषा प्रेमी पहुंचे हैं। इस सम्मेलन में खासतौर से कुमाउंनी को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने के लिए पहल होगी। साथ ही भाषा के संरक्षण व संवर्द्धन पर चिंतन-मंथन होगा। (आगे पढ़ें)

सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि एवं क्षेत्रीय विधायक चंदन राम दास ने कहा कि भाषा और बोली उस क्षेत्र, राज्य तथा देश की पहचान होती है। कुमाउंनी के संरक्षण के लिए हमें अपने घर से पहल करनी होगी। बच्चे शिक्षा किसी भी भाषा में लें, लेकिन उन्हें अपनी भाषा आनी चाहिए। यह सम्मेलन नई पीढ़ी को भाषा से जोड़ने में मील का पत्थर साबित होगा। क्षेत्रीय विधायक दास ने कहा कि अब नई शिक्षा नीति में क्षेत्रीय भाषाओं को आगे बढ़ाने की पहल हो रही है। क्षेत्रीय भाषाएं अब रोजगारपरक भी होंगी। इसके लिए सभी को मिलजुल कर प्रयास करना होगा। (आगे पढ़ें)

इससे पहले शनिवार को साहित्यकार, कलाकार तथा भाषा प्रेमी कैलखुरिया मंदिर के पास जुटे। जहां से जुलूस की शक्ल में नरेंद्रा पैलेस के सभागार में पहुंचे। यहां दीप जलाकर अतिथियों ने कार्यक्रम का शुभारंभ किया। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि पूर्व जिला जज जयदेव सिंह ने कहा कि भाषा से हमारी पहचान होती है। उन्होंने कहा कि यदि कोई बौलते व ठैरा बोलेगा, तो वह कुमाऊं का होगा। यदि काख जाण बल कहेगा तो उत्तरकाशी, कख जाण छै तो चमोली या पौड़ी का होगा। भाषा हमारी पहचान है। इसे बचाए रखना सबके लिए जरूरी है। (आगे पढ़ें)

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए केश्वानंद चंदोला ने कहा कि आज बाहर जाने के बाद कई युवाओं को अपनी भाषा नहीं आने की कमी खल रही है। कुछ युवा इसके बाद अपनी भाषा सीख रहे हैं। सभी अभिभावकों की जिम्मेदारी है वह अपने आने वाली पीढ़ी को अपनी भाषा से जरूर रूबरू कराएं। यह सम्मेलन इस बात का गवाह भी बनेगा। बागेश्वर से कुली उतार जैस आंदोलन शुरू हुए जो राष्ट्रीय आंदोलन बने। इसी तरह कुमाउनी भाषा के लिए जगी यह अलख दिल्ली तक जानी चाहिए। (आगे पढ़ें)

नरेंद्र खेतवाल ने सभी का स्वागत किया। साथ ही सभी से भाषा के प्रति संवेदनशील बने रहने की अपील की। पहरू पत्रिका के हयात सिंह रावत ने सम्मेलन के उद्देश्य के बारे में बताया। संचालन डॉ. केएस रावत ने किया। इस मौके पर आयोजन समिति के किशन सिंह मलड़ा, डॉ. राजीव जोशी, रवि जोशी, हेम पाठक, जगदीश दफौटी, डॉ. शैलेंद्र धपोला, गोपाल बोरा, रंजीत बोरा, पूर्व विधायक उमेद सिंह माजिला, शेर सिंह धपोला, केशवानंद जोशी, डॉ. जितेंद्र तिवारी आदि मौजूद रहे।

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