रानीखेत (सीएनई संवाददाता)। उत्तराखंड की पर्वतीय अस्मिता, भाषा-संस्कृति और सामाजिक अधिकारों के लिए आजीवन संघर्ष करने वाले महान जननेता इंद्रमणि बडोनी की 100वीं जयंती रानीखेत में उत्साहपूर्वक मनाई गई।
बुधवार को राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, रानीखेत में उच्च शिक्षा विभाग के तत्वावधान में एक गरिमामय स्मृति सत्र का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य युवा पीढ़ी को राज्य आंदोलन की लोकतांत्रिक विरासत और अहिंसक संघर्ष की प्रेरणा देना था।

विद्यार्थी आत्मसात करें बडोनी जी के विचार: प्राचार्य
महाविद्यालय के कॉन्फ्रेंस हॉल में आयोजित कार्यक्रम का शुभारंभ प्राचार्य के स्वागत संबोधन से हुआ। उन्होंने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि स्व. इंद्रमणि बडोनी का जीवन उत्तराखंड के जनांदोलनों और सांस्कृतिक स्वाभिमान का प्रतीक है। उन्होंने युवाओं से आह्वान किया कि वे बडोनी जी के आदर्शों को जीवन में उतारें और समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी समझें।
अहिंसक मार्ग आज भी प्रासंगिक: डॉ. महिराज मेहरा
इतिहास विभाग के वरिष्ठ विद्वान और मुख्य वक्ता डॉ. महिराज मेहरा ने बडोनी जी के जीवन-संघर्ष पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि बडोनी जी का संघर्ष केवल राजनीति तक सीमित नहीं था, बल्कि वह पर्वतीय समाज की पहचान और सामाजिक न्याय की रक्षा की लड़ाई थी। उन्होंने स्थानीय भाषा और संस्कृति को राष्ट्रीय पटल पर पहचान दिलाई। डॉ. मेहरा ने जोर दिया कि बडोनी जी द्वारा दिखाया गया अहिंसक मार्ग आज के दौर में और भी अधिक प्रासंगिक हो गया है।
युवाओं की सक्रिय भागीदारी
स्मृति सत्र में NSS, NCC, रोवर-रेंजर और रेड क्रॉस इकाइयों के अधिकारियों सहित बड़ी संख्या में छात्र-छात्राओं ने प्रतिभाग किया। कार्यक्रम के समापन पर संयोजक डॉ. पारुल भारद्वाज ने सभी का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि बडोनी जी के विचार पर्वतीय क्षेत्रों के सशक्तिकरण के लिए हमेशा मार्गदर्शक रहेंगे।

