कालाढूंगी। रामगढ़ ब्लाक की भोजन माताओं ने शुक्रवार को रामगढ़ खंड विकास अधिकारी के माध्यम से अपनी मुख्य मांगों को लेकर एक ज्ञापन श्रमसचिव देहरादून को प्रेषित किया। तथा खंड विकास कार्यालय में प्रदर्शन किया। सभी भोजन माताओं ने कहा कि हमसे विद्यालय में खाना बनाने के अतिरिक्त कमरों व मैदान की सफाई भी कराई जाती है और फुलवारी लगवाने का काम भी करवाया जाता है। जबकि हमारा मानदेय मात्र 2 हजार रुपये महीना है। हम भोजन माता बहुत गरीब परिवार से हैं और इस महगाई में 2 हजार रुपये में परिवार को चलाना बहुत कठिन हो गया है। भोजन माताओं का आरोप है कि स्कूलों में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी से भी ज्यादा काम लिया जाता है। लेकिन मानदेय के नाम पर उनको मात्र दो हजार रुपए दिये जाते हैं।
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उनका कहना है कि 11 जनवरी 2020 को उत्तराखंड के शिक्षा निदेशक ने भोजन माताओं का मानदेय पांच हजार किये जाने का प्रस्ताव सरकार को भेजा था। जिसे आज तक लागू नहीं किया गया है। भोजन माताओं ने न्यूनतम वेतन 18 हजार लागू किए जाने सभी भोजन माताओं को स्थाई किये जाने। किसी भी स्थिति में भोजन माताओं को विद्यालय से न निकाले जाने। अक्षय पात्र फाउंडेशन द्वारा बनाये जाने वाले खाने पर रोक लगाये जाने। क्वरंटाइन सेंटरों में काम करने वाली भोजन माताओं को अतिरिक्त सहयोग राशि व उनका जीवन बीमा कराये जाने। वेतन बोनस समय पर दिए जाने की मांग की है।
ज्ञापन देने वालों में भोजन माता प्रेमा देवी, दीपा बिष्ट, कोशलैया देवी, चंपा देवी, कविता देवी, मुन्नी देवी व नीता आदि शामिल रही।