✍️ बागेश्वर के मयूं गांव में सैकड़ों लोग बने गवाह, जमकर थिरके बाराती
सीएनई रिपोर्टर, बागेश्वर: दफौट क्षेत्र के मयूं गांव में पीपल व वट वृक्ष की शादी पूरे धूमधाम के साथ मनाई गई। विवाह कार्यक्रम में बराती जमकर थिरके। सैकड़ों लोग इस कार्यक्रम के गवाह बने। इस धार्मिक अनुष्ठान में शगुन आंखर भी गाए गए। सामुहिक भोज में लोगों ने बढ़चढ़कर भाग लिया। शादी कराने के लिए नैनीताल से आचार्य पहुंचे।
मयूं गांव के दिवंगत धर्मानंद फुलारा की पत्नी बंसुती फुलारा अपने परिवार के साथ दिल्ली में रहती है। इस परिवार ने पीपल वट वृक्ष विवाह संपन्न किया। बड़ी संख्या में नैनीताल, हल्द्वानी, दिल्ली, मुंबई महानगरों के प्रवासी इस अनूठे विवाह समारोह के साक्षी बने। वट वृक्ष को दूल्हे के रूप में डोली में बिठाकर गांव के गोलज्यू मंदिर से कार्यक्रम शुरू हुआ। यहां से गाजे बाजे परंपरागत नृत्य के साथ गांव के सड़क मार्ग से होकर बारात गांव के हरज्यू सैम व देवी मंदिर के प्रांगण में पहुंची। गांव के दिवंगत लक्ष्मी दत्त फुलारा की पुत्री मोहिनी देवी ने पीपल वृक्ष को दुल्हन के रूप में सुसज्जित कराया था। वेद मंत्रों के उच्चारण के साथ विवाह की रस्में संपन्न हुआ।
नैनीताल से पहुंचे आचार्य कथा व्यास केसी सुयाल ने कहा कि सनातन संस्कृति में वृक्ष पूजन कर पर्यावरण संरक्षण जैसे आयोजन किसी और संस्कृति में दृष्टि गोचर नहीं होते। लेखक व पर्यावरणविद हरीश जोशी का मानना है कि ऐसे आयोजन समाज को जोड़ने का काम तो करते ही हैं इन सबसे लुप्तप्राय परंपराएं भी पुनर्जीवित होती हैं। इस मौके पर शेखर चंद्र, नारायण दत्त, नरोत्तम, कमलकांत, हरीश चंद्र, हरनाथ फुलारा, पार्वती देवी, प्रभा जोशी, दीपक जोशी, लीलाधर जोशी, जीवन जोशी, हर्षित सुयाल आदि उपस्थित रहे।