VPKAS के वैज्ञानिकों ने दिया प्रशिक्षण
VPKAS अल्मोड़ा ने किसानों को मंडुवा थ्रेशर-कम-पर्लर मशीन का प्रशिक्षण दिया। जानें कैसे यह मशीन कम लागत और कम मेहनत में रागी और मादिरा की मड़ाई व पर्लिंग कर किसानों का मुनाफा बढ़ाएगी।
सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ा। पर्वतीय क्षेत्रों के किसानों की आय बढ़ाने और खेती की मेहनत कम करने के उद्देश्य से भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद-विवेकानंद पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (VPKAS), हवालबाग के वैज्ञानिकों ने किसानों को मंडुवा थ्रेशर-कम-पर्लर मशीन का विशेष प्रशिक्षण दिया है।
इस आधुनिक मशीन के इस्तेमाल से मंडुवा (रागी) और मादिरा की मड़ाई व पर्लिंग (छिलका हटाना) का काम अब कम समय, कम लागत और कम मेहनत में हो सकेगा। यह प्रशिक्षण अनुसूचित जाति और गरीबी रेखा से नीचे के किसानों के लिए एक बड़ी राहत है।
प्रशिक्षण कार्यक्रम की मुख्य बातें
वीपीकेएएस संस्थान द्वारा यह महत्वपूर्ण प्रशिक्षण कार्यक्रम अल्मोड़ा के डुम्मिढ़ और डिगरा गांवों में आयोजित किया गया।
- भागीदारी: डुम्मिढ़ गांव में 31 किसानों को, जबकि डिगरा गांव में 39 किसानों को इस मशीन के संचालन का प्रशिक्षण दिया गया।
- प्रशिक्षण: संस्थान के तकनीशियन सुरेंद्र सिंह ग्वाल और ‘फसल कटाई उपरान्त इंजीनियरिंग व प्रौद्योगिकी पर अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना’ के स्टाफ ने किसानों को मशीन की खूबियाँ विस्तार से समझाईं।
- मशीन की क्षमता:
- मंडुवा/मादिरा की मड़ाई क्षमता: 40-60 किलोग्राम प्रति घंटा।
- मंडुवा पर्लिंग क्षमता: 60-80 किलोग्राम प्रति घंटा।
- मादिरा छिलका हटाने की क्षमता: 2.5-4 किलोग्राम प्रति घंटा।
- आसान संचालन: इस मशीन की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह सिंगल फेज बिजली से आसानी से चलाई जा सकती है, जिससे इसे ग्रामीण क्षेत्रों में इस्तेमाल करना सरल हो जाता है।
- अभ्यास: प्रशिक्षण के दौरान महिला किसानों सहित अन्य प्रतिभागियों ने स्वयं मंडुवा थ्रेशर चलाकर मशीन के उपयोग का सीधा अनुभव प्राप्त किया।
ग्राम प्रधान बिमल देवी भी इस दौरान मौजूद रहीं और उन्होंने संस्थान के इस कदम की सराहना की। विशेषज्ञों का मानना है कि इस मशीन के व्यापक उपयोग से किसानों की मेहनत में कमी आएगी और वे पारंपरिक मोटे अनाजों के उत्पादन से अधिक लाभ कमा सकेंगे।

