नई दिल्ली/देहरादून। प्रदेश के बेरोजगार नवयुवकों और कोविड-19 के पश्चात उत्तराखंड लौटे प्रवासियों के लिए आजीविका के अवसरों को बढा़ने के लिए उत्तराखंड सरकार निरन्तर प्रयासरत् है। वैश्विक महामारी के चलते लॉकडाउन से प्रभावित हुई प्रदेश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के इन्हें भगीरथ प्रयासों के तहत उत्तराखंड के जलागम, सिंचाई, पर्यटन और संस्कृति मंत्री सतपाल महाराज ने आज केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर से भेंट कर उन्हें जलागम विकास परियोजनाओं हेतु 1000 करोड़ के प्रस्ताव सौंपे।
उत्तराखंड के जलागम मंत्री सतपाल महाराज ने आज नई दिल्ली में केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर से मुलाकात के दौरान उन्हें बताया कि उत्तराखंड राज्य में क्रियान्वित की जा रही विश्व बैंक पोषित उत्तराखंड विकेंद्रीकृत जलागम विकास परियोजना ग्राम्या फेज-2 एक सफल परियोजना है। यह परियोजना वास्तव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वर्ष 2022 तक कृषकों की आय दुगनी करने एवं प्राकृतिक जल स्रोतों के संवर्धन तथा पुनर्जीवन की परिकल्पना को साकार करने में सक्रिय भूमिका निभा रही है। महाराज ने कहा कि यह परियोजना वैश्विक महामारी कोविड-19 के पश्चात उत्तराखंड में वापस आए प्रवासी भाई-बहनों के लिए भी आजीविका के अवसरों में वृद्धि और सहयोग करने में अत्यंत लाभकारी सिद्ध होगी।
उत्तराखंड के जलागम मंत्री सतपाल महाराज ने केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर को बताया कि ग्राम्या-2 के नाम से चल रही यह परियोजना सितंबर 2021 में समाप्त हो रही है। इसलिए इस जन उपयोगी एवं लोकप्रिय परियोजना जो हमारे हिमालय राज्य के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है जिसका कि 3 वर्ष की अवधि हेतु विस्तार करने के अलावा 90 मिलियन यूएस डॉलर के अतिरिक्त वित्त पोषण के प्रस्ताव की संस्तुति कर विश्व बैंक को प्रेषित किया जाए। जलागम मंत्री सतपाल महाराज ने बताया कि जलागम प्रबंधन विभाग उत्तराखंड द्वारा राज्य के उच्च दुर्गम पर्वतीय हिमालय क्षेत्रों में लगभग 4 दशकों से विभिन्न बाह्य वित्त पोषित जलागम परियोजनाओं का क्रियान्वयन किया जाता रहा है।
उन्होंने कहा कि इन परियोजनाओं की इस हिमालय राज्य में जल एवं भू संपदा के संरक्षण में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका रही है। इसके साथ ही परियोजनाओं से प्रदेश में गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले सीमांत कृषकों हेतु संचालित विभिन्न गतिविधियों में सहयोग से उनकी आजीविका का संवर्धन भी हुआ है। उत्तराखंड राज्य में विश्व बैंक पोषित परियोजना ग्राम्या-2 वर्ष 2014 में प्रारम्भ हुई थी जो कि सितंबर 2021 में समाप्त हो रही है। उससे आगे 2 वर्ष 11 महिने के लिए (128 यूएस मिलियन डॉलर) यानि 1000 करोड़ रुपए के नए प्रोजेक्ट के प्रस्ताव पर उत्तराखंड के जलागम मंत्री सतपाल महाराज एवं केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर के बीच व्यापक चर्चा हुई।
ज्ञात हो कि पूरी परियोजना की धनराशि 1000 करोड़ में से 70 प्रतिशत 90 मिलियन यूएस डॉलर यानि 684 करोड़ रुपए विश्व बैंक देता है और 25 प्रतिशत राशि राज्य सरकार की होती है जबकि 5 प्रतिशत राशि लाभार्थी शेयर के रूप में होती है। केन्द्रीय मंत्री से भेंट के दौरान उत्तराखंड के जलागम मंत्री महाराज ने उन्हें बताया कि प्रदेश के सूदूरवर्ती गांव जो वीरान हो गये थे प्रवासियों के आने के बाद फिर से आबाद होने लगे हैं।
इसलिए उनकी कोशिश है कि उत्तराखंड वापस लौटे प्रवासियों को जलागम परियोजनाओं के माध्यम से गांव में ही आजीविका के अवसर प्राप्त हों। केन्द्रीय वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने उत्तराखंड के जलागम मंत्री सतपाल महाराज को आश्वासन दिया कि वह इसके लिए गंभीरता से प्रयास करने के साथ-साथ उक्त परियोजना के विस्तार पर संस्तुति करते हुए शीघ्र ही विश्व बैंक को वित्त पोषण हेतु प्रेषित करेंगे।