डा० राजेंद्र कुकसाल।
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बैंगन तना और फल छेदक कीट बैगन की फसल को सबसे अधिक नुकसान पहुंचाने वाला कीट है। कीट के प्रकोप से उपज ही कम नहीं होती ग्रसित फलों की गुणवत्ता कम होने से कृषकों को फसल का कम मूल्य मिलता है।
इस कीट के वयस्क मध्यम आकार के मौथ / पतंगें जिनके अग्र पंख सुफेद धब्बेदार होते हैं।
बैंगन फसल को इस कीट की इल्लियां / लार्वा नुकसान पहुंचाते हैं। फरवरी मार्च में कीट की वयस्क मादायें दूधिया रंग के अंडे एक एक करके या समूह में पत्तियों की निचली सतह, तनों, फूलों की कलियां या फल के आधार पर देती है। 3-5 दिनों बाद अंडों से लार्वा निकलने के बाद तने व शाखाओं के अग्र भाग में घुस जाती है जिस कारण तने / शाखाओं के अग्र भाग मुरझा कर लटक जाते है व बाद में सूख जाते है। पौधों पर फल आने पर लार्वा /इल्लियां फलों में छेद बना कर अंदर प्रवेश कर अन्दर घुसते ही कीट छेदों को अपने मल मूत्र से बन्द कर देते हैं। इल्लियां अंदर ही अंदर फल के गूद्दे को खाती रहती हैं। कीट द्वारा किए गए छिद्रों से फफूंद व जीवाणु फलों के अन्दर प्रवेश करते हैं जिससे बाद में फल सड़ने लगते हैं।
पूरी तरह विकसित लार्वा सुदृढ़,गुलाबी रंग और भूरे सिर वाला होता है।
पूर्ण रूप से विकसित लार्वा तनों,सूखी टहनियों या जमीन पर गिरी पत्तियों पर प्यूपा बनता है।
कीट की लार्वा अवस्था 12-15 दिनों की होती है। प्यूपा अवस्था 6-10 दिनों की होती है जिसके बाद वयस्क बनते हैं। वयस्क पतंगा 2-5 दिन जीवित रहता है। मौसम के अनुसार एक जीवन चक्र 21-43 दिनों में पूरा करता है। एक बर्ष के सक्रिय समय में इसकी पांच पीढि़यां तक हो सकती है।
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कीट की प्रकृति, व्यवहार व जीवन चक्र की अवस्थाओं को समझे बिना कृषक इस कीट के नियंत्रण हेतु जहरीले कीटनाशकों का लगातार प्रयोग करते हैं इससे कीट का नियंत्रण तो नहीं हो पाता किन्तु वातावरण दूषित होता है साथ ही फल भी जहरीले हो जाते हैं।
रोकथाम –
बैंगन तना और फल छेदक कीट के जीवन चक्र की चार अवस्थाएं अण्डा, लार्वा, प्यूपा व वयस्क है । फ़ल के अन्दर लार्वा के प्रवेश के बाद लार्वा/इल्ली को नष्ट करना संभव नहीं हो पाता अतः कीट से फसल को बचाने हेतु कीट की वयस्क पतंगा / तितली को फसल पर अन्डा देने से बचाना होता है एक बार यदि अन्डे से लार्वा / इल्ली निकल कर पौधे के अन्दर प्रवेश कर जाती है फिर फलों को नुक्सान से नहीं बचाया जा सकता है।
1. वयस्क तितलियां/ पतंगों की निगरानी करें तितलियां दिन में काफी सक्रिय रहती है उस समय हाथ के जाल से पकड़ कर नष्ट करें।
2.प्रकाश प्रपंच की सहायता से रात को वयस्क तितलियां को आकर्षित कर उन्हें नष्ट करते रहना चाहिए। प्रकाश प्रपंच हेतु एक चौडे मुंह वाले वर्तन ( पारात,तसला आदि ) में कुछ पानी भरलें तथा पानी में मिट्टी तेल मिला लें उस वर्तन के ऊपर मध्य में विद्युत वल्व लटका दें यदि खेत में वल्व जलाना सम्भव न हो तो वर्तन में दो ईंठ या पत्थर रख कर उसके ऊपर लालटेन या लैंम्प रख दें। लालटेन को तीन डंडों के सहारे भी लटका सकते हैं। साम 7 से 10 बजे तक वल्व, लालटेन या लैम्प को जला कर रखें। वयस्क तितलियां प्रकाश से आकृषित होकर वल्व, लालटेन व लैम्प से टकराकर वर्तन में रखे पानी में गिर कर मर जाते हैं। बाजार में भी प्रकाश प्रपंच/ सोलर प्रकाश प्रपंच उपलब्ध हैं।
3.. वयस्क तितलियां/पतगौ को आकर्षित करने के लिए फ्यूरामोन ट्रेप का प्रयोग कर उन्हें नष्ट करें। फेरोमोन ट्रैप को गंध पाश भी कहते हैं। इसमें एक प्लास्टिक की थैली पर कीप आकार की संरचना लगी होती है जिसमें ल्योर ( गंध पास ) लगाने के लिये एक सांचा दिया होता है। ल्योर में फेरोमोन द्रव्य की गंध होती है जो आसपास के नर कीटों को आकर्षित करती है। ये ट्रैप इस तरह बने होते हैं कि इसमें कीट अन्दर जाने के बाद बाहर नहीं आ पाते हैं। फेरामोन ट्रेप में एक माह बाद ल्योर ( गंध पास ) की टिकिया बदलते रहें।बीज दवा की दुकानों में फ्यूरेमोंन ट्रेप उपलब्ध रहते हैं। AMAZON से भी औन लाइन फेरामौन ट्रेप मंगा सकते हैं। दस पौधों के बीच एक फेरामोन ट्रेप का प्रयोग करें।
4.फसल की निगरानी करते रहे यदि पौधों के किसी भी भाग ( पत्तियां, तना फूल की कली आदि ) कीट के अन्डे दिखाई दें तो उन्हें हटा कर नष्ट करें।
5.पौधों की तने व शाखाओं का अग्र भाग कीट के प्रभाव से जैसे ही मुर्झा कर झुकने लगे इन भागों को एक इंच नीचे से काट कर पौधों से हटायें साथ ही ग्रसित फल , पौधों की सूखी टहनियों गिरी सूखी पत्तियों को एक पौलीथीन में एकत्रित कर नष्ट करें जिससे वयस्क तितलियां/ पतंगों की संख्या को नियंत्रित किया जा सके।
6.फसल पर नीम आधारित कीटनाशकों जैसे निम्बीसिडीन निमारोन,इको नीम, अचूक या बायो नीम में से किसी एक का तीन मिली लीटर प्रति लीटर पानी में मिलाकर सांयंकाल में या सूर्योदय से एक दो घंटे पहले पौधों पर दस दिनों के अन्तराल पर छिड़काव करते रहें जिससे तितली पौधों पर अन्डे न दे सके दवा के घोल में प्रिल ,निरमा या कोई भी अन्य लिक्युड डिटर्जेंट की कुछ बूंदें मिलाने पर दवा अधिक प्रभावी होती है।
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