हल्द्वानी। ओखलकांडा के तुषराण गांव के नरभक्षी को ढेर करने आए उत्तराखंड के अब तक के सबसे सफल शिकारी लखपत रावत कई दिनों तक जंगल की खाक छानने के बाद कुछ दिनों का अवकाश लेकर अपने घर लौट गए हैं। अब वे 19 नवंबर को दोबारा से इलाके में आएंगे। इस बीच खबर यह है कि 22 नवंबर को वन विभाग द्वारा जारी नरभक्षी गुलदार के डेथ वारंट की समय सीमा समाप्त हो जाएगी।
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हम आपको बता दें कि तुषराण व उससे लगभग पांच किमी दूर बजवाड़ गांव में गुलदारों ने तीन लोगों की हत्या कर दी थी। इसके बाद वन विभाग ने दो गुलदारों को नरभक्षी घोषित किया था। इनके खात्मे के लिए मेरठ और गैरसैंण से शिकारी बुलाए गए थे। तुषराण नरभक्षी को समाप्त करने की जिम्मेदारी लखपत सिंह को सौंपी गई थी जबकि बजवाल के नरभक्षी को मारने की जिम्मेदारी मेरठ के शिकारी हादी को सौंपी गई। दोनों ही शिकारी लगातार गांव व जंगलों की खाक छानते रहे लेकिन कई दिनों के बाद भी उनके हाथ खाली ही रहे। इस बीच शिकारी लखपत रावत ने नरभक्षी के शिकार करने के ढंग समय आदि पर रिसर्च कर ने के बाद निष्कर्ष निकाला है कि दोनों गांवों में एक ही नरभक्षी लोगों को शिकार बना रहा है। लेकिन वन विभाग अभी उनके तर्क से सहमत नहीं है।
उधर घर पर किसी आयोजन की वजह से लखपत सिंह रावत अपने सहयोगी व बेटे के साथ कल वापस गैरसैंण लौट गए। उन्होंने बताया कि वे अब 19 नवंबर को दोबारा तुषराण लौटेंगे। उन्होंने बताया कि वन विभाग द्वारा जारी नरभक्षी के डेथ वारंट की समय सीमा 22 नवंबर को समाप्त हो रही है। उनका कहना है कि तीन हत्याओं के बाद नरभक्षी इलाके भर में कहीं दिखई नहीं पड़ा इसका यह अर्थ भी हो सकता है कि नरभक्षी बजवाल गांव से लगती चंपावत वन प्रभाग की सीमा में घुस गया हो।
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