अल्मोड़ा न्यूज : विवेकानंद संस्थान में पहली बार डिजिटल प्लेटफार्म पर हुआ किसान मेला, किसानों को दी रबी फसलों के कृषिकरण व नवीन तकनीकों की जानकारी

सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ाभाकृअनुप-विवेकानन्द पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, अल्मोड़ा में कोरोना संक्रमण के खतरे को देखेते हुए पहली बार डिजिटल माध्यम से किसान मेले का आयोजन…

सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ा
भाकृअनुप-विवेकानन्द पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, अल्मोड़ा में कोरोना संक्रमण के खतरे को देखेते हुए पहली बार डिजिटल माध्यम से किसान मेले का आयोजन किया गया।​ इस वर्चुअल आनलाइन रबी किसान मेले का आयोजन जूम एप द्वारा किया गया।
मेले का शुभारंभ परिषद गीत से हुआ तथा इसके पश्चात् संस्थान के कार्यों के प्रदर्शन हेतु संस्थान के चलचित्र का प्रस्तुतिकरण किया गया।
कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि पूर्व महानिदेशक, बोरलाॅग इंस्टीट्यूट आफ साउथ एशिया डाॅ. एच. एस. गुप्त ने शिरकत की। उन्होनें कहा कि इस कोविड-19 महामारी के दौरान भी किसानों द्वारा सराहनीय कार्य किया गया। पर्वतीय क्षेत्रों में कृषि तकनीकों को आगे बढ़ाये जाने की आवश्यकता है। कृषकों को परंपरागत फसलों के साथ-साथ उच्च आय वाली फसलों को अपनाना चाहिए। उन्होनें संस्थान द्वारा विकसित पोर्टेबल पाॅलीहाउस को अपनाकर बेमौसमी सब्जियों के उत्पादन हेतु किसानों से आग्रह किया। उनके द्वारा पाॅली टैंक तकनीकी का प्रयोग कर पानी का संरक्षण, उपयोग व प्रबंधन पर बल दिया गया। उन्होंने किसानों से फसल बीमा कराने की अपील की।
इस अवसर पर संस्थान के निदेशक एवं वैज्ञानिकों द्वारा संस्थान द्वारा अंगीकृत गांव भगरतोला के प्रतिरूप बनाये जाने की भी आवश्यकता बतायी गई। उन्होनें कहा कि उत्तर पश्चिमी एवं उत्तर पूर्वी राज्यों के किसानों को संस्थान का सहयोग प्राप्त हो रहा है तथा वे सफलता की ओर अग्रसर हो रहे हैं। किसानों को संस्थान द्वारा विकसित लघु यंत्रों का प्रयोग करना चाहिए जिससे कि परिश्रम में हो रहे ह्रास को कम किया जा सके। उनके द्वारा किसानों से पांच महत्वपूर्ण बिन्दुओं यथा उन्नत बीज, कृषि यंत्र, जल संरक्षण, पालीहाउस का उपयोग एवं संस्थान से निरंतर सम्पर्क में रहने की सलाह दी गई।
किसान मेले के अवसर पर संस्थान के निदेशक डा. लक्ष्मी कान्त ने सभी अतिथियों एवं किसानों का स्वागत करते हुए उन्हें संस्थान की गतिविधियों से अवगत कराया तथा विगत वर्ष में संस्थान की महत्वपूर्ण उपलब्धियों के विषय में बताया। उन्होनें कहा कि विगत वर्ष में संस्थान द्वारा चार नवीन किस्में विमोचित तथा 9 किस्में जारी की गयी हैं। मुख्य कृषि अधिकारी, मुख्य उद्यान अधिकारी, मुख्य पशु चिकित्साधिकारी, जिला विकास प्रबंधक नाबार्ड द्वारा विभिन्न परियोजनायों के अन्तर्गत किसानों को दी जा रही अनुदान के विषय में विस्तृत जानकारी दी गई।

इस अवसर पर संस्थान के कोरोना योद्धाओं कमल पाण्डे, बृजमोहन मिश्रा एवं अमित कुमार को सम्मानित किया गया। संस्थान द्वारा विकसित विभिन्न फसलों की प्रजातियों नामतः वीएल मसूर 148 एवं वीएल मटर 61 का लोकार्पण भी कृषकों हेतु किया गया। इसके पश्चात् संस्थान द्वारा प्रकाशित तकनीकी बुलेटिन ‘‘पर्वतीय क्षेत्रों की पारम्परिक फसलों का उन्नत उत्पादन एवं कटाई उपरान्त प्रसंस्करण तकनीकी द्वारा आय सृजन’’ तथा प्रसार प्रपत्र ”टमाटर की फसल में पिनवर्म (टूटा एब्सोलूटा) का समेकित प्रबन्धन” का विमोचन किया गया। विभिन्न किसानों द्वारा उनके प्रक्षेत्र में चलाये जा रहे संस्थान की विभिन्न तकनीकियों से हो रहे लाभ को सफलता की कहानी के रूप में बताया गया। इस अवसर पर संस्थान के पूर्व निदेशक डाॅ. ए.के. श्रीवास्तव, डाॅ. जे.सी. भट्ट तथा सी.एस.के.-एच.पी.के.वी., पालमपुर एवं औद्यानिकी व वानिकी विश्वविद्यालय, नौनी, सोलन (हि.प्र.) के निदेशक तथा संयुक्त निदेशक प्रसार साथ ही उत्तर पश्चिमी एवं उत्तर पूर्वी राज्यों के विभिन्न अधिकारी गण भी डिजिटल माध्यम से सम्मिलित हुए। मेले में उत्तराखण्ड के विभिन्न क्षेत्रों से 500 से अधिक कृषकों ने आनलाइन प्रतिभाग किया एवं विभिन्न रबी फसलों से सम्बन्धित जानकारी प्राप्त की। किसान मेले में कार्यक्रम का संचालन डा. कुशाग्रा जोशी एवं धन्यवाद प्रस्ताव डॉ. जेके बिष्ट ने किया।

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