IAS Smita Sabharwal Success Story | यूपीएससी की परीक्षा देश की सबसे प्रतिष्ठित और कठिन परीक्षाओं में से एक है, इसलिए इसे पास करना बड़ी बात मानी जाती है। हर साल लाखों उम्मीदवार यूपीएससी की परीक्षा देते और पास करने का सपना देखते हैं। कुछ लकी लोग पहले प्रयास में ही इस परीक्षा को पास कर लेते हैं तो कुछ को यह सफलता कई बार प्रयास करने के बाद मिलती है। यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा पास करने वाले उम्मीदवार हमेशा से उन उम्मीदवारों व छात्रों के लिए एक आइडल होते हैं जो यूपीएससी की तैयारी करते हैं और इस परीक्षा को पास करना चाहते हैं। यूपीएससी की तैयारी कर रहे छात्रों को IAS बनें लोगों की सक्सेस स्टोरी, यूपीएससी की तैयारी के लिए उनकी रणनीति, मूलभूत बातों या फिर कहें कि यूपीएससी की परीक्षा पास करने के ट्रीक को जानना चाहते हैं।
आज हम एक ऐसी महिला आईएएस की बात कर रहे हैं जो महज 23 साल की उम्र में आईएएस बन गई थीं। स्मिता सभरवाल (IAS Smita Sabharwal) देश की सबसे कम उम्र की महिला आईएएस अधिकारियों में एक हैं।
IAS Success Story Smita Sabharwal
स्मिता सभरवाल का जन्म 19 जून 1977 को पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग में हुआ था। उनके पिता रिटायर्ड सेना अधिकारी कर्नल प्रणब दास हैं। उनकी मां का नाम पुरबी दास है। पिता की आर्मी जॉब होने की वजह से स्मिता अलग-अलग शहरों में पली-बढ़ी हैं। रिटायरमेंट के बाद वे हैदराबाद में सेटल हो गए। स्मिता की स्कूलिंग वहीं हुई है। वे 12वीं में ISC टॉपर थीं। फिर उन्होंने कॉमर्स स्ट्रीम से ग्रेजुएशन की पढ़ाई की थी।
स्नातक के साथ-साथ यूपीएससी की तैयारी
हैदराबाद के मार्रेडपल्ली स्थित सेंट एनंस से स्मिता की स्कूली शिक्षा हुई। स्मिता ने आईसीएसई की 12वीं बोर्ड की परीक्षा में देश में टॉप (ICSE 12th Board Topper) किया था। उन्होंने सेंट फ्रांसिस डिग्री कॉलेज (St Francis Degree College) से कॉमर्स में स्नातक की पढ़ाई के साथ-साथ यूपीएससी (UPSC) की तैयारी भी शुरू कर दी थी। हालांकि, पहले प्रयास में वह पहला राउंड भी पास नहीं कर पायीं। बावजूद इसके, उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और आईएएस अधिकारी (IAS Officer) बनकर दिखाया। जब स्मिता ने 12वीं में टॉप किया तो उनके पिता ने उन्हें सिविल सर्विस में जाने के लिए प्रोत्साहित किया।
दूसरे प्रयास में मिली चौथी रैंक
स्मिता सभरवाल (IAS Smita Sabharwal) अपने पहले अटेंप्ट में प्रीलिम्स परीक्षा भी पास नहीं कर पाई थीं। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और दोगुनी मेहनत के साथ तैयारी की। साल 2000 में अपने दूसरे प्रयास में वे यूपीएससी परीक्षा (UPSC Exam) पास करने वाली सबसे कम उम्र की स्टूडेंट बनीं। इसमें उन्होंने ऑल इंडिया लेवल पर 4th रैंक हासिल की थी। (Smita Sabharwal Rank)। आज स्मिता तेलंगाना में नियुक्त है और अपने क्षेत्र में अव्वल दर्जे की अधिकारी मानी जाती है।
उन्होंने तेलंगाना कैडर से आईएएस की ट्रेनिंग ली थी। नियुक्ति हो जाने के बाद वह चित्तूर में सब-कलेक्टर रहीं। वह कडप्पा रूरल डेवलपमेंट एजेंसी की प्रोजेक्ट डायरेक्टर, वारंगल की नगर निगम कमिश्नर और कुरनूल की संयुक्त कलेक्टर रही हैं। स्मिता को हर जगह सम्मान मिला।
स्मिता के पति आईपीएस हैं
आईएएस स्मिता तेलंगाना के मुख्यमंत्री कार्यालय में तैनात होने वाली पहली महिला आईएएस अधिकारी हैं। स्मिता ने आईपीएस ऑफिसर डॉ. अकुन सभरवाल (IPS Akun Sabharwal) से शादी की है। उनके दो बच्चे नानक और भुविश हैं। स्मिता सभरवाल सोशल मीडिया पर काफी चर्चा में रहती हैं। उनके काम करने के अंदाज और गरीबों की मदद के जुनून को सराहा जाता है।
स्मिता रोजाना करती थीं 6 घंटे पढ़ाई
स्मिता सभरवाल (Smita Sabharwal) ने कॉमर्स से ग्रेजुएशन करने के बावजूद यूपीएससी एग्जाम में मानव विज्ञान और लोक प्रशासन को अपने वैकल्पिक विषय के रूप में चुना। एग्जाम की तैयारी के बारे में स्मिता बताती हैं कि वह रोजाना छह घंटे पढ़ाई करती थी और इसके साथ ही वह एक घंटे का समय स्पोर्ट्स एक्टिविटी के लिए भी निकालती थीं। वह करंट अफेयर्स की तैयारी के लिए न्यूज पेपर और मैग्जीन पढ़ती थीं।
काम की वजह से बनाई पहचान
स्मिता सभरवाल (Smita Sabharwal) की पहली नियुक्ति चितूर में सब-कलेक्टर के रूप में हुई। वह कडप्पा रूरल डेवलपमेंट एजेंसी की प्रोजेक्ट डायरेक्टर, वारंगल की नगर निगम कमिश्नर और कुरनूल की संयुक्त कलेक्टर रही हैं। इसके अलावा बाद वह विशाखापत्तनम और करीमनगर जैसी जगहों पर तैनात रही हैं। स्थानीय लोग आज भी स्मिता को उनके बेहतरीन काम के लिए याद करते हैं और ‘पीपुल्स ऑफिसर’ के नाम से जाना जाता है।
पहली नियुक्ति चित्तूर जिले में बतौर सब-कलेक्टर हुई
स्मिता ने तेलंगाना कैडर से आईएएस की ट्रेनिंग ली थी। स्मिता सभरवाल की पहली नियुक्ति चित्तूर जिले में बतौर सब-कलेक्टर हुई और फिर आंध्र प्रदेश के कई जिलों में एक दशक तक काम करते रहने के बाद उन्हें अप्रैल, 2011 में करीमनगर जिले का डीएम बनाया गया। वे कडप्पा रूरल डेवलपमेंट एजेंसी की प्रोजेक्ट डायरेक्टर, वारंगल की नगर निगम कमिश्नर और कुरनूल की संयुक्त कलेक्टर रही हैं। वे तेलंगाना के वारंगल, विशाखापट्टनम, करीमनगर और चित्तूर में पोस्टेड रह चुकी हैं। उन्हें हर जगह काफी सम्मान मिला।
सोशल मीडिया पर एक्टिव
स्मिता सभरवाल कम उम्र में आईएएस ऑफिसर बनने के कारण इन दिनों चर्चा में हैं। वो सोशल मीडिया पर भी काफी एक्टिव रहती हैं। इसलिए यूपीएससी की तैयारी कर रहे छात्र उनकी सफलता की कहानी को पढ़ना चाहते हैं। स्मिता सभरवाल मुख्यमंत्री कार्यालय में नियुक्त होने वाली पहली महिला आईएएस अधिकारी हैं। वर्तमान में, वह सीए, गवर्नमेंट ऑफ तेलंगाना में सचिव के पद पर कार्यरत हैं। वह सचिव, ग्रामीण जल आपूर्ति विभाग और मिशन भगीरथ के रूप में अतिरिक्त प्रभार भी संभालती हैं।
स्मिता सभरवाल को जनता का अधिकारी भी कहा जाता है
स्मिता सभरवाल भारतीय प्रशासनिक सेवा की अधिकारी हैं, जिन्हें तेलंगाना राज्य में किए गए कई सुधारों के लिए जाना जाता है। उनके प्रशासकीय कौशल ने तेलंगाना के लोगों की विभिन्न तरीकों से मदद की है। उन्हें पीपुल्स ऑफिसर यानी जनता का अधिकारी भी कहा जाता है। इसकी वजह ये है कि उन्होंने जनता पर केंद्रित कई योजनाओं का सफलता से अमल किया। उन्हें ‘जनता की अधिकारी’ कहा जाता है। उनके काम करने का अंदाज काफी हटकर है। उनके संघर्ष और ईमानदारी ने उन्हें जनता के बीच काफी लोकप्रिय बना दिया है। उनके दबंग अंदाज को देखकर लोग उनका काफी सम्मान करते हैं।
मिला प्राइम मिनिस्टर एक्सलेंस अवार्ड
स्मिता सभरवाल ने करीमनगर में स्वास्थ्य के क्षेत्र में सुधार लाने के लिए ‘अम्माललाना’ प्रोजेक्ट (Ammallana) की शुरुआत की। इस परियोजना की सफलता के लिए उन्हें ‘प्राइम मिनिस्टर एक्सलेंस अवार्ड’ (Prime Minister Excellence Award) के लिए चुना गया। स्मिता जब करीमनगर की डीएम थीं, उस वक्त करीमनगर को बेस्ट टाउन का अवॉर्ड (Karimnagar Best Town Award) दिलवाया। वर्ष 2001 बैच की वह पहली IAS अफसर हैं, जिसे सीएमओ में नियुक्ति मिली है।
हर दिन 200-300 अनुरोध पर विचार करती हैं स्मिता
इन दिनों स्मिता सभरवाल तेलंगाना (Telangana) के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव (K Chandrashekhar Rao) की विशेष सचिव हैं। उनके पति भी सरकारी सेवा में हैं। हालांकि, वह पुलिस सेवा में हैं। स्मिता के पति अकुन सभरवाल IPS अधिकारी हैं। स्मिता सभरवाल हर दिन 200-300 लोगों के अनुरोधों पर विचार करती हैं। उन्होंने महिलाओं के उत्थान के लिए काफी काम किया है। ग्रामीण पृष्ठभूमि के लोगों का जीवन स्तर सुधारने के लिए कई जागरूकता अभियान चलाये हैं।
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