न्यायिक प्रक्रिया के दौरान पत्नी से हुआ समझौता
सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ा
न्यायिक मजिस्ट्रेट रानीखेत की अदालत ने ढ़ाई साल पहले दायर हुए वाद में आरोपी को संदेह का लाभ देते हुए दहेज प्रतिषेध अधिनियम के अंतर्गत वर्णित अभियोग से दोषमुक्त करार दिया है।
दरअसल, रानीखेत निवासी परिवादिनी बबीता बिष्ट द्वारा अपने पति दिलावर सिंह बिष्ट पुत्र राम सिंह बिष्ट निवासी रामपुर उत्तर प्रदेश के खिलाफ 14 जनवरी 2020 को परिवाद दाखिल किया था। जिसमें उसने कहा कि आरोपी से उसका विवाह 6 मार्च, 2014 को हुआ था। 20 नवंबर, 2014 को उसकी पहली पुत्री हुई 18 जून 2016 को फिर दूसरी पुत्री का जन्म हुआ। जिसके साथ उसके ससुरालजनों द्वारा उत्पीड़न का सिलसिला शुरू हो गया। उससे 2 लाख 50 हजार दहेज की मांग की जाने लगी तथा मारपीट कर घर से भी निकाल दिया गया।
इस मामले में परिवादिनी के पति दिलावर सिंह बिष्ट के खिलाफ 323, 504, 506, 498 ए भारतीय दंड संहिता व धारा 4 दहेज प्रतिषेध अधिनियम के तहत वाद दायर हुआ था। इधर इस मामले में महिला ने सशपथ कथन दिया कि न्यायालय में उसने 14 जनवरी 2020 परिवाद पत्र प्रस्तुत किया था। न्यायालय में कार्रवाई के दौरान ही उसका अपने पति से समझौता हो गया। अब वह अपने पति के साथ रामपुर, उत्तर प्रदेश रह रही है और उसे कोई परेशानी नहीं है। उसने सशपथ यह भी कथन किया कि ढ़ाई लाख रूपये की मांग दहेज के लिए बल्कि आर्थिक सहायता के लिए मांगे गये थे। यह भी कहा कि उत्पीड़न, मारपीट, गालीगलौज व जान से मारने की दी गई धमकी के आरोपों के विषय में कहा कि वह यह नहीं बता सकती है कि उसके पति ने उससे यह कब और कहां कही। अब वह अपने पति के साथ आराम से रह रही है और अभियुक्त के विरूद्ध कोई कार्रवाई नहीं चाहती है।
जिसके बाद संयुक्त मजिस्ट्रेट रानीखेत, अल्मोड़ा शिवानी नाहर ने अपने फैसले में आरोपी दिलावर सिंह बिष्ट को फौजदारी वाद के मामले में धारा 323, 504, 498 ए भारतीय दंड संहिता व धारा 4 दहेज प्रतिषेध अधिनियम के अंतर्गत वर्णित अपराध के अभियोग से संदेह का लाभ देते हुए दोषमुक्त कर दिया। अभियुक्त की तरफ से अधिवक्तागणों में देवेंद्र सिंह माहरा, रोहित कार्की, प्रभात सिंह बिष्ट व एनके जोशी ने प्रबल पैरवी की।