सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ा
उत्तराखंड कर्मकार कल्याण बोर्ड से भ्रष्टाचार के गम्भीर आरोपों के बाद हटाये जाने के बाद अल्मोड़ा पहुंचे श्रम मंत्री व कोटद्वार के विधायक हरक सिंह रावत ने कहा कि उन पर लगाये गये सारे आरोप तथ्यहीन हैं। हकीकत तो यह है कि जो आदमी काम करता है उसी पर उंगली उठती है। उन्होंने सवाल किया कि क्या इससे पूर्व कोई श्रम बोर्ड को जानता भी था ? वह खुद इस बारे में अधिक जानकारी नही रखते थे। वह पिछली सरकार में भी मंत्री रहे, तब दुर्गापाल श्रम मंत्री थे तब भी उन्हें यह नही मालूम था कि आंखिर यह श्रम बोर्ड क्या है, लेकिन इन तीन—चार सालों में उन्होंने श्रमिकों के लिए बेहतरीन योजनाएं बनाई। उन्होंने कहा कि वह किसी के खिलाफ कोई टिप्पणी नही करनी और श्रम मंत्री के रूप में उन्हें किसी का कोई सार्टिफिकेट भी नही चाहिए। इस प्रदेश का जो श्रमिक व जनता ही उनका मूल्यांकन करेगी, क्योंकि उन्होंने श्रमित हित में कार्य किए हैं। उंगली उठाना बहुत सरल है। घोटाले के आरोप बिना पक्रिया को समझे गलत है। सच तो यह है कि विधायक व मंत्री उनकी यह प्राथमिकता रही कि लोगों को नौकरी दी जाए। उन्होंने दावा कि उनके फैसलों से एक लाख लोगों को प्रदेश में रोजगार मिला है। आपको बता दें कि श्रम मंत्री हरक सिंह रावत व उनके कार्यकाल में नियुक्त 40 कर्मचारियों की सेवा समाप्त कर दी गई है। इसकी वजह यह बताई जा रही है कि बोर्ड के ढांचे में उक्त पद शामिल तो है, लेकिन इन्हें भरने के लिए वित्त विभाग से सहमति नहीं ली गई। इसके बजाय उपनल, पीआरडी से नाम मंगवा लिए गए। इससे बोर्ड पर अतिरिक्त वित्तीय भार पड़ रहा था। वहीं 45 करोड़ रुपयों का हिसाब नहीं मिलने पर स्पेशल ऑडिट कराए जाने की संस्तुति की गई है। हालांकि उन्होंने कहा कि सारी जानकारियां उन्हें मीडिया के माध्यम से ही मिली हैं, कोई आथंटिक जानकारी मिलने तक वह अधिक कुछ नही कहना चाहेंगे।