सीएनई रिपोर्टर, बागेश्वर
कपकोट के पूर्व विधायक ललित फर्स्वाण ने जिला प्रशासन व प्रदेश सरकार पर आंदोलित जिला पंचायत सदस्यों की उपेक्षा का आरोप लगाया है। उन्होंने आंदोलित सदस्यों की अनसुनी के खिलाफ 24 घंटे का उपवास रखने का निर्णय लिया है। वे 23 अगस्त की सुबह 11 बजे जिलाधिकारी कार्यालय में उपवास शुरू करेंगे। इस आशय का ज्ञापन उन्होंने जिलाधिकारी को सौंप दिया है।
जिलाधिकारी को सौंपे ज्ञापन में फर्स्वाण का कहना है कि पिछले डेढ़ महीने निर्वाचित जिला पंचायत सदस्य आंदोलन की राह पर हैं। सत्ता की हनक में जिला पंचायत अध्यक्ष तथा सरकार के इशारे पर जिला प्रशासन उनकी सुनने को तैयार नहीं है। सरकार ने विकास कार्यों को गति देने के लिए कोई प्रयास नहीं किया है। इससे कपकोट विधानसभा का विकास ठप हो गया है। आधे आंदोलित सदस्य उन्हीं के विधानसभा क्षेत्र के हैं। उन्होंने खुद कई बार शासन-प्रशासन को मौखिक तथा शपतपत्र के साथ जानकारी दे दी है। निर्वाचित सदस्यों की बात नहीं सुना जाना लोकतंत्र के लिए गंभीर खतरा है। पूर्व विधायक ने निर्णय लिया कि अब वह इसके विरोध में 24 घंटे का उपवास रखेंगे।
आंदोलन पर अडिग खफा सदस्य
जिला पंचायत परिसर में जिला पंचायत उपाध्यक्ष नवीन परिहार के नेतृत्व में नौ जिला पंचायत सदस्यों का धरना सोमवार को भी जारी रहा। जिपं उपाध्यक्ष नवीन परिहार के नेतृत्व में चल रहे आंदोलन में वक्ताओं ने कहा कि जब तक बजट आवंटन में असमानता दूर नहीं होगी वह आंदोलन में डटे रहेंगे। सदस्यों द्वारा जो प्रस्ताव पास किए हैं उसी आधार पर बजट मिलना चाहिए। मनमर्जी किसी की भी नहीं चलने दी जाएगी। इस मौके पर हरीा ऐठानी, वंदना ऐठानी, सुरेश खेतवाल, इंद्रा परिहार, रूपा कोरंगा, पूर्जा आर्या, गोपा धपोला तथा रेखा देवी आदि मौजूद रहे।
बागेश्वर को कार्यमुक्त हुई अंशिका
जिला पंचायत सदस्यों के आंदोलन के दबाव में आये शासन ने निदेशालय में सम्बद्व बागेश्वर की अपर मुख्य अधिकारी को आज बागेश्वर के लिये कार्यमुक्त कर दिया है। संयुक्त निदेशक पंचायती राज राजीव कुमार नाथ त्रिपाठी ने बताया कि बागेश्वर जिले में तैनात अपर मुख्य अधिकारी अंशिका स्वरूप को शासन द्वारा अग्रिम आदेशों तक निदेशालय में सम्बद्व किया गया था, लेकिन शासन द्वारा उनकी सम्बद्वत्ता को तत्काल समाप्त करते हुए उन्हें बागेश्वर के अपर मुख्य अधिकारी के लिए तत्काल प्रभाव से कार्यमुक्त कर दिया गया है। उल्लेखनीय है कि अंशिका विगत 6 माह से देहरादून निदेशालय सम्बद्व थी, जबकि उनका वेतन आहरण बागेश्वर जिला पंचायत से किया जा रहा था। आन्दोलन सदस्य लगातार स्थायी अपर मुख्य अधिकारी की तैनाती की मांग करते आ रहे थे।