मंदिर के दीये से लगी आग, पति-पत्नी और नौकरानी की दम घुटने से मौत

UP News | कानपुर में दिवाली की रात कारोबारी की आलीशान कोठी ही पति-पत्नी और नौकरानी की मौत की वजह बन गई। काकादेव के पांडुनगर…

मंदिर के दीये से लगी आग, पति-पत्नी और नौकरानी की दम घुटने से मौत

UP News | कानपुर में दिवाली की रात कारोबारी की आलीशान कोठी ही पति-पत्नी और नौकरानी की मौत की वजह बन गई। काकादेव के पांडुनगर में 31 अक्टूबर की रात संजय श्याम दासानी, उनकी पत्नी और नौकरानी की दम घुटने से मौत हो गई।

कारोबारी के 3 मंजिला मकान में दरवाजे और खिड़कियां सेंसर बेस्ड हैं।​​​ ​ड्राइंग रूम में आग लगने के बाद डोर और विंडो ऑटोमैटिक लॉक हो गए। इसके बाद धुएं में तीनों करीब 1 घंटे तक तड़पते रहे। एयरटाइट होने की वजह से धुआं बाहर नहीं निकला और किसी को चीखें तक नहीं सुनाई दीं। दूसरी मंजिल पर रहने वाले भाई ने धुएं और आग की लपटें देखीं, तब पुलिस और फायर ब्रिगेड को सूचना दी। करीब डेढ़ घंटे की मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया गया। पति-पत्नी और नौकरानी को अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने तीनों को मृत घोषित कर दिया।

अग्निकांड में मरने वाले संजय श्याम दासानी (48), पत्नी कनिका दासानी (42), नौकरानी छवि चौहान (24) के साथ एक पर्शियन बिल्ली की भी लाश मिली है। संजय श्याम की अंबाजी फूड्स नाम से कंपनी है। साथ ही इनकी बिस्किट फैक्ट्री भी है।

DCP सेंट्रल दिनेश त्रिपाठी ने कहा- तीन मंजिला कोठी के ग्राउंड फ्लोर पर उद्योगपति ललित दासानी रहते थे, लेकिन वह परिवार समेत कंपनी बाग के इमरल्ड टावर में शिफ्ट हो गए। उनका ग्राउंड फ्लोर खाली पड़ा हुआ है। जबकि पहली मंजिल पर संजय और उनकी पत्नी कनिका रहती हैं। बेटा हर्ष विदेश में पढ़ाई कर रहा है। दीपावली पर बेटा भी घर आया था। दूसरी मंजिल पर मृतक के भाई कमलेश श्याम दासानी अपनी पत्नी और तीन बच्चों के साथ रहते हैं।

फोरेंसिक एक्सपर्ट की जांच रिपोर्ट के मुताबिक, पहली मंजिल पर संजय के हिस्से में प्रवेश करते ही ड्राइंग रूम बना हुआ है। ड्राइंग रूम में ऑटोमैटिक सेंसर डोर और बालकनी में विंडो भी ऑटोमैटिक लगी हुई हैं। ड्राइंग रूम में ही मंदिर भी बना हुआ है। इसके बाद बेडरूम बने हुए हैं। रात में पूजा करने के बाद संजय और कनिका कमरे में सोने चले गए। इसी कमरे में नौकरानी छवि भी जमीन पर सोई थी।

आग कैसे लगी –

फोरेंसिक टीम की माने तो मंदिर में पूजा-पाठ करने के बाद पति-पत्नी और नौकरानी छवि, तीनों कमरे में सो गए थे। इस दौरान लकड़ी के मंदिर में दीपक से आग लग गई। ड्राइंग रूम में वुडेनवर्क और PVC का काम होने के चलते मंदिर की आग ने पूरे कमरे को अपनी चपेट में ले लिया। देखते ही देखते सोफे और पूरे फर्नीचर में जोरों की आग लग गई। आग कुछ मिनटों में पूरे कमरे में फैल गई। इसके बाद ड्राइंगरूम का धुआं जब कमरे में भरा तो संजय, कनिका और नौकरानी छवि को पता चला। उन्होंने पहले बालकनी और फिर ड्राइंगरूम का डोर खोलने का प्रयास किया, लेकिन ऑटोमैटिक सेंसर डोर लॉक हो गया था।

सुबह 5 बजे भाई ने धुआं देखा, तब आग का पता चला

सुबह में 5 बजे दूसरी मंजिल पर रहने वाले भाई कमलेश ने धुआं उठता देखा तो भाई संजय और भाभी को फोन किया, लेकिन कोई रिस्पॉन्स नहीं मिला। इसके बाद उन्होंने पुलिस और फायर ब्रिगेड को सूचना दी। फायर ब्रिगेड ने करीब डेढ़ घंटे की मशक्कत से आग पर काबू पाया। इसके बाद ऑक्सीजन मास्क लगाकर फायर ब्रिगेड कर्मचारी बेडरूम में दाखिल हुए। तीनों बॉडी को बाहर निकाला। आनन-फानन में रीजेंसी हॉस्पिटल लेकर पहुंचे, जहां डॉक्टरों ने तीनों को मृत घोषित कर दिया।

फोरेंसिक एक्सपर्ट ने बताई मौत की वजह

फोरेंसिक एक्सपर्ट की टीम ने जांच पड़ताल के बाद अपनी प्राथमिक रिपोर्ट दी। इसमें बताया कि ड्राइंगरूम से ही बाहर निकलने के लिए एक रास्ता था। ड्राइंगरूम में आग लगने और वहां धुआं भरने की वजह से संजय, उनकी पत्नी और नौकरानी चाहकर भी बाहर नहीं निकल सके। ड्राइंगरूम से लेकर बेड रूम तक कहीं भी वेंटिलेशन नहीं था। ऑटोमैटिक सेंसर डोर और विंडो भी नहीं खुल सकी और तीनों की दम घुटने से मौत हो गई।

घर से बाहर रहने के चलते बच गई बेटे की जान

DCP सेंट्रल ने कहा- बेटा दीपावली पूजन होने के बाद रात में दोस्तों के साथ निकल गया था। इसके बाद देर रात तक घर नहीं लौटा। इस वजह से उसकी जान बच गई। अगर बेटा घर में होता तो उसकी भी जान चली जाती। सुबह 7 बजे फोन करके हर्ष को बताया गया कि घर में इस तरह का हादसा हुआ और माता-पिता की मौत हो गई है। इसके बाद वह घर पर पहुंचा और बदहवास हो गया।

 


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