✍️ थ्री पैरा स्पेशल फोर्स का गौरवशाली इतिहास पर चर्चा
सीएनई रिपोर्टर, बागेश्वर: थ्री पैरा स्पेशल फोर्स ने शेलाटांग दिवस धूमधाम से मनाया। उन्होंने फोर्स के गौरवशाली इतिहास पर चर्चा करते हुए कहा कि 07 नवंबर 1947 से शेलाटांग दिवस मनाया जाता है। इस दिन हुई निर्णायक जंग को लेकर पूर्व सैनिकों ने जीत का जश्न भी मनाया।
स्थानीय नरेंद्रा पैलेस सभागार पर कार्यक्रम आयोजित हुआ। पूर्व सैनिकों ने कहा कि जब एक कुमाऊं सात लाइट कैवेलरी की टुकड़ी के साथ शेलाटांग शहर में पहुंची। वहां पाकिस्तानी कबायलियों तथा मिलिशिया के साथ निर्णायक लड़ाई लड़ी थी। ताकि शहर को पाकिस्तान के कब्जे से वापस किया जा सके। कहा कि इस उपलब्धि के लिए थ्री पैरा को शेलाटांग का युद्ध सम्मान मिला था। उसके बाद पुंछ का युद्ध सम्मान तथा जम्मू कश्मीर का थिएटर सम्मान दिया गया। एक कुमाऊं को बाद में प्रथम बटालियन, रसेल ब्रिगेड नाम दिया गया। फिर इसे थ्री पैरा के रूप में एयरबोर्न रोल में परिवर्तित कर दिया गया। उसके बाद थ्री पैरा एसएफ के रूप में विशेष बल की भूमिका में परिवर्तित किया गया। जिसे रसेल वाइपर उपनाम दिया गया। रेगिस्तान युद्ध के लिए प्रशिक्षित तथा विशेषज्ञ बनाया गया। इस दौरान सूबेदार मेजर आनरी कै. चतुर सिंह, सूबेदार नंदन गिरी, हलवलदार प्रताप मेहरा, आनंद कोरंगा, भगवान सिंह, नेत्र सिंह, खुशाल सिंह कार्की, बसंत सिंह, नंदन गिरी, इंद्र सिंह आदि उपस्थित थे।