HomeUttarakhandAlmoraअल्मोड़ा: एजुकेशनल मिनिस्ट्रीयल आफीसर्स एसोसिएशन एवं राजकीय शिक्षक संघ आमने—सामने

अल्मोड़ा: एजुकेशनल मिनिस्ट्रीयल आफीसर्स एसोसिएशन एवं राजकीय शिक्षक संघ आमने—सामने

✍️ शिक्षा विभाग में मिनिस्ट्रीयल कार्मिकों को प्रभारी बीईओ बनाने का मामला
✍️ एक संगठन ने कक्षा बहिष्कार, तो दूसरे ने दफ्तरों में काम ठप करने की धमकी दी

सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ा: शिक्षा विभाग में मिनिस्ट्रीयल कर्मचारियों को प्रभारी बीईओ बनाने संबं​धी मामले पर एजुकेशनल मिनिस्ट्रीयल आफीसर्स एसोसिएशन तथा राजकीय शिक्षक संघ आमने—सामने आने लगे हैं। यहां राजकीय शिक्षक संघ ने गत दिवस मिनिस्ट्रीयल क​र्मचारियों को प्रभारी बीईओ बनाने के आदेश पर कड़ी आ​पत्ति जताई और इस आदेश को वापस लेने की मांग उठा दी। इधर राजकीय शिक्षक संघ की इस मांग पर एजुकेशनल मिनिस्ट्रीयल आफीसर्स एसोसिएशन ने आंखें तरेरी हैं। संगठन ने चेतावनी दे डाली है कि यदि इस शासनादेश में कोई कटौती की गई, तो पूरे कुमाऊं मण्डल में शिक्षा विभाग के सभी कार्यालयों में काम ठप कर दिया जाएगा।

एजुकेशनल मिनिस्ट्रीयल आफीसर्स एसोसिएशन के कुमाऊं मण्डलीय अध्यक्ष पुष्कर सिंह भैसोड़ा ने मिनिस्ट्रीयल कार्मिकों को प्रभारी बीईओ बनाने से शासनादेश के संबंध में राजकीय शिक्षक संघ उत्तराखंड द्वारा जारी पत्र को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है और कहा है कि शिक्षक संघ के दबाव में मिनिस्टीरियल संवर्ग के अधिकारों व शासनादेश में कोई कटौती की गई, तो पूरे कुमाऊं मण्डल के सभी कार्यालयों में कार्य ठप करा दिया जायेगा और इसकी समस्त जिम्मेदारी विभाग की होगी। उन्होंने कहा है कि मिनिस्ट्रीयल संवर्ग द्वारा बड़े संघर्ष के बाद यह सफलता हासिल की है। उन्होंने संगठन के सभी जिलों के अध्यक्षों व सचिवों को आगाह किया है कि इस मुद्दे पर आंदोलन की स्थिति में तैयार रहें।

उल्लेखनीय है कि राजकीय शिक्षक संघ ने शिक्षा विभाग में मिनिस्ट्रीयल संवर्ग को प्रभारी बीईओ बनाने के आदेश पर आक्रोश जताया है और आदेश को वापस लेने की पुरजोर मांग उठा दी है। ऐसा नहीं होने पर कक्षाओं के बहिष्कार की धमकी दे डाली है। शिक्षक संघ का कहना है कि आदेश नियम अनुसार सही नहीं है। संघ के जिलाध्यक्ष भारतेंदु जोशी ने कहा है कि प्रशासनिक अधिकारी ग्रेड पे के लिहाज से शिक्षकों से निम्नतर हैं और ऐसे में प्रशासनिक अधिकारी शिक्षकों को कोई आदेश नहीं दे सकते। वहीं संघ के महामंत्री भुवन चिलवाल ने कहा कि यह शिक्षकों के अधिकारों का हनन है, जो विभाग को कार्यप्रणाली पर भी प्रश्न चिन्ह लगाता है।

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