सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ा
उत्तराखंड लोक वाहिनी की यहां हुई बैठक में ऋषिगंगा में आई आपदा को हिमालय से छेड़छाड़ का नतीजा बताया गया। वक्ताओं ने कहा कि जिस प्रकार हिमालय की कमजोर पहाड़ियों पर सैकड़ों बांध प्रस्तावित हैं, वह सम्पूर्ण उत्तर भारत के लिये खतरा हैं। इस अवसर पर उलोवा के बांध विरोधी आंदोलनों के फाइल चित्रों का प्रदर्शन भी किया गया।
वाहिनी के उपाध्यक्ष जंगबहादुर थापा की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में गढ़वाल के बांध विरोधी आंन्दोलनों में सक्रिय रहे वाहनी के प्रवक्ता दयाकृष्ण काण्डपाल ने कहा कि पहाड़ों में बर्फबारी व हिमस्खलन कोई नई बात नही है। इसी बात को देश भर के बांध समर्थक लोगों को समझाने के लिये उलोवा के पूर्व अध्यक्ष डॉ. शमशेर सिंह बिष्ट के नेतृत्व मे गढ़वाल मण्डल में की गई पदयात्राओं में उन्होंने बांधों के सम्भावित खतरों से लोगों को आगाह किया था। गढ़वाल मण्डल में बांध विरोधी आन्दोलनों में लोगों ने जेल यातनायें भोगी पर सरकारों की समझ मे नही आया। एडवोकेट जगत रौतेला ने कहा कि बिष्णुप्रयाग ऋषिगंगा पावर प्रोजेक्ट कुछ महिने पहले ही आरम्भ हुआ था, किन्तु आज उसका नामोनिशान मिट गया है। यह जन व धन हानि बहुत ही दु:खद है। सरकारों को इस पर संज्ञान लेना चाहिये तथा भविष्य में हिमालयी क्षेत्रों में प्रस्तावित परियोजनाओं पर पर्यावरण हितों केे ध्यान मे रखते हुए रोक लगाई जानी चाहिये। कुणाल तिवारी ने कहा कि गिर्दा ने पहले ही अपने गीत के माध्यम से पानी के व्यापारियों को आगाह कर दिया था। अजयमित्र सिंह बिष्ट ने कहा कि वाहनी ने हमेशा पर्यावरण की चिन्ताओं को सरकार के लामने रखा है पर सरकारें इन चिंताओं के प्रति बेफिक्र नजर आती रहीं। पर्यावरण वादियों को विकास विरोधी कहने का एक चलन चल पड़ा है, परिणाम सबके लामने है। अध्यक्षता कर रहे उलोवा उपाध्यक्ष जंग बहादुर थापा ने कहा कि गढ़वाल में मारे गये आपदा में सभी मजदूरों के प्रति वह संवेदना प्रकट करते हुए सरकार से मांग करते हैं कि भविष्य में हिमालय के साथ छेड़छाड़ ना करने की स्पष्ट नीति बनाई जाये। अन्त मे शोक संतप्त परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुए मृतकों को श्रद्धान्जलि दी गई। इस अवसर पर बांध विरोधी आन्दोलन में सक्रिय साथियों के चित्र भी दयाकृष्ण काण्डपाल ने सार्वजनिक किये। बैठक मे रेवती बिष्ट अजय मेहता शमशेर जंग, हरीश मेहता, हारिस मुहम्मद आदि शामिल रहे ।