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अल्मोड़ा: हाईकोर्ट की बैंच ​ऋषिकेश में बनाना औचित्यहीन—केवल सती


✍️ पूर्व दर्जा मंत्री एवं राज्य आंदोलनकारी ने दी अपनी प्रतिक्रिया

सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ा: पूर्व दर्जा राज्यमंत्री एवं राज्य आन्दोलनकारी एडवोकेट केवल सती ने उत्तराखंड हाईकोर्ट की बैंच ऋषिकेश ले जाने के प्रकरण पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि उत्तराखंड जैसे छोटे राज्य में हाईकोर्ट की ऋषिकेश में बैंच बनाना औचित्य पूर्ण नहीं है। उन्होंने कहा है कि ऐसा प्रस्ताव लाकर जनमत सर्वेक्षण करवाना कुमाऊं व गढ़वाल के लोगों के बीच परस्पर सम्बन्धों में कटुता पैदा करने जैसा साबित होगा, क्योंकि हाईकोर्ट की ऋषिकेश में नई बैंच बनाने को लेकर जिस तरह से परस्पर विरोधी बयान आ रहे हैं, वह उचित नहीं हैं।

अपने बयान में श्री सती ने कहा है कि 9 नवम्बर 2000 को जब उत्तराखंड राज्य बना था, तो उस समय सरकार ने तय किया था कि उत्तराखंड की अस्थाई राजधानी देहरादून यानि गढ़वाल में होगी तथा उत्तराखण्ड का उच्च न्यायालय नैनीताल यानि कुमाऊं में होगा। तब से लगातार उत्तराखंड हाईकोर्ट नैनीताल में चलते आ रहा है। नैनीताल पर्यटक स्थल होने से वादकारियों के लिए वह महंगा शहर हो रहा था, इसलिए हाईकोर्ट को वहां से अन्यत्र कुमाउं के अन्दर ही स्थानांतरित करने की बात जरूर चल रही थी, चाहे वह हल्द्वानी गोलापार हो या रुद्रपुर हो अथवा रामनगर हो, लेकिन ऋषिकेश में बैंच बनाने की एक नई बात पैदा कर दी गई, जो अनुचित है। श्री सती ने कहा कि इस सम्बन्ध में प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को भी इसकी सत्यता पता है, इसलिए उन्हें अपना मत स्पष्ट करना चाहिए तथा उक्त प्रकरण को समाप्त करवाना चाहिए, ताकि कटुता पैदा करने वाली बयानबाजी नहीं होने पाए।

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