हल्द्वानी। नैनीताल हाईकोर्ट ने मंगलवार को सोशल मीडिया पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के खिलाफ पोस्ट लिखने पर दर्ज एफआईआर को निरस्त करने का आदेश सुनाई।इस मामले में एक कदम आगे बढ़कर कोर्ट ने सीएम पर लगाए गए आरोपों की सत्यता की परख के लिए देहरादून में एसपी सीबीआई को एफआईआर दर्ज करके जांच करने के आदेश भी दे दिए हैं।
दैनिक अमर उजाला में प्रकाशित खबर के अनुसार न्यायमूर्ति रवींद्र मैठाणी की एकलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। इस याचिका में उमेश शर्मा ने हाईकोर्ट में अलग-अलग याचिका दायर कर उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर को निरस्त करने की मांग की थी। एक मामले में सेवानिवृत्त प्रोफेसर हरेंद्र सिंह रावत ने 31 जुलाई को देहरादून थाने में उमेश शर्मा के खिलाफ ब्लैकमेलिंग करने सहित विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज किया था। याचिकाकर्ता उमेश शर्मा ने सोशल मीडिया पर डाली गई पोस्ट में कहा था कि प्रो. हरेंद्र सिंह रावत व उनकी पत्नी डॉ. सविता रावत के खाते में नोटबंदी के दौरान झारखंड से अमृतेश चौहान ने रुपये जमा किए और यह रकम मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत को देने को कहा था।
इस वीडियो में डॉ. सविता रावत को मुख्यमंत्री की पत्नी की सगी बहन बताया गया था। थने में दर्ज एफआईआर में रिपोर्टकर्ता प्रो. हरेेंद्र सिंह रावत ने कहा था कि ये सभी तथ्य झूठे और बेबुनियादी हैं और उमेश शर्मा ने बैंक के कागजात कूटरचित तरीके से बनाए हैं।
याचिकाकर्ता उमेश शर्मा की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल व अन्य ने पैरवी की। उन्होंने कहा कि नोटबंदी के दौरान हुए लेनदेन के मामले में उमेश शर्मा के खिलाफ झारखंड में मुकदमा दर्ज हुआ था, जिसमें वे पहले से ही जमानत पर हैं। इसलिए एक ही मुकदमे के लिए दो बार गिरफ्तारी नहीं हो सकती है। पक्षों को सुनने के बाद हाईकोर्ट की एकलपीठ ने दर्ज एफआईआर को निरस्त करते हुए प्रकरण में लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोप की सत्यता की सीबीआई जांच करने के निर्देश जारी किए हैं। हालांकि कोर्ट ने अपने आदेश में मुख्यमंत्री का जिक्र नहीं किया है लेकिन याचिका के पैरा आठ को आधार मानते हुए कोर्ट ने इस प्रकरण की सीबीआई जांच के आदेश कर मामले की सच्चाई सामने लाने के आदेश एसपी सीबीआई को दिए हैं।
हालांकि इस प्रकरण मुख्यमंत्री ने आदेश का स्वगत करते हुए कहा है कि न्यायालय का जो भी निर्णय आया है, उसका स्वागत है। किसी भी एजेंसी से जांच कराई जाए, हम तैयार हैं। पूरी पारदर्शिता के साथ न्यायालय के हर आदेश का पालन किया जाएगा।
लेकिन समाचार पत्र के अनुार सीएम ने दिल्ली में सरकारी अधिवक्ताओं से इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में याचिका डालने की तयारी करने के लिए कहा है।