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बागेश्वर: जब मरीज को डोली में 8 किमी ढोना पड़ा, तो हालात ने उगली विकास की सच्चाई

✍️ सुविधाओं को मोहताज गांव निकाल रहे गांव—गांव विकास के दावों की हवा
✍️ नितांत जरुरत के बावजूद बोरबलड़ा व नरगड़ा गांवों में न सड़क, न ही स्वास्थ्य सुविधा

सीएनई रिपोर्टर, बागेश्वर: जहां एक ओर गांव—गांव के विकास के गुब्बारे रुपी दावे हवा में उड़ रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ अति आवश्यक सुविधाओं को मोहताज गांव इन गुब्बारों की हवा निकाल रहे हैं। जिले के कपकोट तहसील के कई गांव हैं, जो इस बात का उदाहरण बने हैं। इस विकास व वैज्ञानिक युग में आज भी ग्रामीण मरीज को डोली में बिठाकर 8 से 15 किमी पैदल राह से अस्पताल पहुंचाने को मजबूर हैं। ये हालात गांव—गांव विकास की बातों को झुठला देते हैं। यह दयनीय नजारा तब दिखा जब नरगड़ा के लोग एक मरीज को 8 किमी डोली में बिठाकर सड़क तक लाए।

भले कोई हर क्षेत्र में विकास के कितने ही दावे करे, किंतु हालात सच्चाई बयां कर देते हैं। ऐसी सच्चाई उस समय सामने आई, जब कपकोट के नरगड़ा गांव के लोग एक मरीज को अस्पताल पहुंचाने के लिए 8 किमी डोली में बिठाकर सड़क तक पहुंचे और करीब एक माह पहले ही बोरबलड़ा गांव के दो बुजुर्गों को 15 किमी पैदल चलकर सड़क तक पहुंचाया। नरगड़ा की प्रधान भागीरथी देवी ने बताया कि उनके गांव के 80 साल के आन सिंह पुत्र केशर सिंह एक सप्ताह से श्वांस संबंधी परेशानी से पीड़ित चल रहे हैं। उन्हें चिकित्सक को दिखाने के लिए जिला अस्पताल ले जाना था। सवाल यह उठा कि चलने में अक्षम आन सिंह को सड़क तक कैसे पहुंचाया जाए, क्योंकि सड़क करीब 8 किमी दूर है। गांव में युवा भी नहीं हैं, क्योंकि रोजी रोटी की तलाश में युवा पलायन कर चुके हैं। इस कारण मरीज को कुछ दिनों तक डॉक्टर को नहीं दिखा पाए, लेकिन मंगलवार को उनकी तबियत और बिगड़ गई। तो गांव के कुछ लोगों ने हिम्मत जुटाकर उन्हें डोली में बिठाया और आठ किमी पैदल चलकर फरसाली तक पहुंचाया। जहां से वाहन में बिठाकर जिला अस्पताल भर्ती कराया।

डोली में उन्हें ग्रामीण तारा सिंह, हीरा सिंह, बलवंत सिंह, गोविंद सिंह ले आए। ग्राम प्रधान ने बताया कि उनके गांव के लिए सड़क स्वीकृत है, किंतु नितांत जरुरत के बाद भी इसका निर्माण शुरू नहीं हो सका। इस कारण मरीजों व गर्भवती महिलाओं को सड़क तक ले जाने में भारी परेशानी उठानी पड़ती है। उन्होंने बताया कि जनता दरबार में जिलाधिकारी ने एक सप्ताह के अंदर भूमि हस्तांतरण करने के निर्देश दिए थे, किंतु अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। गांव में न रास्ते हैं और न ही स्वास्थ्य सुविधा। उन्होंने नवागत जिलाधिकारी से समस्या के समाधान का अनुरोध भी​ किया है।

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