सीएनई रिपोर्टर, बागेश्वर
जनपद के दो महिलाओं को तीलू रौतेली पुरस्कार के चयन हुआ है। जिनमें से एक बागेश्वर नगर की रूचि है, जिसने उच्च शैक्षिक योग्यता हासिल करने के साथ ही ताईक्वांडो खेल में राष्ट्रीय स्तर पर कई पदक हासिल कर नाम कमाया है। दूसरी महिला अभावों व संकटों का सामना करते हुए समाज के लिए प्रेरणा बनीं ममता मेहता हैं। जिन्होंने खुद के बलबूते स्वयं को सुदृढ़ करते हुए समाजसेवी के रूप में पहचान बना डाली।
रूचि ने दिखाई प्रतिभा
तीलू रौतेली पुरस्कार के लिए चयनित महिलाओं में एक बागेश्वर नगर के सैंज निवासी शिक्षक बलवंत कालाकोटी की पुत्री रूचि कालाकोटी है। जो बीए, बीपीएड की शैक्षिक योग्यता रखने के साथ ताइक्वांडो की बेहतरीन खिलाड़ी हैं। उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर स्वर्ण, कांस्य, रजत आदि पदक प्राप्त किए हैं। 2011 से वह लगातार पदक जीत रही हैं। ताइक्वांडो के क्षेत्र में उनका विशेष योगदान दस दिवसीय प्रशिक्षण शिविर में प्रतिभाग है। बालिकाओं में आत्म रक्षा का कौशल विकसित करने के लिए 90 दिवसीय प्रशिक्षण, महिला सशक्तिकरण में योगदान, राजकीय आर्दा प्राथमिक विद्यालय में 45 दिवसीय प्रशिक्षण के दौरान जिलाधिकारी ने भी उन्हें सम्मानित किया है। आल इंडिया इंटर यूनिवर्सिटी 2019-20 चेन्नई में रजत पदक जीता है। कराटे, ताइक्वांडो में हैदराबाद, पंजाब आदि स्थानों पर आयोजित प्रतियोगिताओं में प्रतिभाग किया है।
उनकी माता कमला कालाकोटी गृहणी हैं। रूचि ने कहा कि वह 12 वर्ष की उम्र से राष्ट्रीय पर्वों पर आयोजित होने वाली जिला स्तरीय क्रास कंट्री में शामिल हुई और प्रथम स्थान प्राप्त किया। उन्होंने इस सफलता का श्रेय अपने माता-पिता को दिया है। उनकी इस उपलब्धि पर जिलाधिकारी विनीत कुमार, अपर जिलाधिकारी सीएस इमलाल, मुख्य विकास अधिकारी डीडी पंत, जिला विकास अधिकारी के एन तिवारी, विधायक चन्दन दास, बलवंत भौर्याल, जिला पंचायत अध्यक्ष बसंती देव, जिला पंचायत उपाध्यक्ष नवीन परिहार, पूर्व विधायक ललित फर्स्वाण, हरीश ऐठानी, नगर पालिका अध्यक्ष सुरेश खेतवाल, मुख्य शिक्षा अधिकारी पदमेंद्र कुमार सकलानी आदि ने बधाई दी है।
ममता मेहता ने कमाया नाम
कपकोट। बागेश्वर जिले में जिस दूसरी महिला को तीलू रौतेली पुरस्कार मिला है, वह हैं तहसील कपकोट के भराड़ी निवासी ममता मेहता। जिनका जीवन काफी अभावों से भरा रहा है। शादी के कुछ समय बाद ही वर्ष 2017 में उनके पति स्व. जमन सिंह का बीमारी से निधन हो गया। जो चालक थे। पति के निधन के बाद ममता ने हिम्मत जुटाई और खुद को स्वरोजगार से जोड़ा। साथ में सामाजिक कार्यों से नाता जोड़ लिया और समाज को एक बड़ी प्रेरणा दे डाली।
ममता ने भराड़ी बाजार में एमजे नाम से वर्ष 2018 में होटल की शुरुआत कर दी और उन्होंने अपनी आर्थिक स्थिति मजबूत की और तीन अन्य लोगों को अपने होटल में रोजगार दिया। इसके बाद उन्होंने अपने ही घर पर मशरूम उत्पादन का कार्य भी शुरू किया। इससे उन्होंने खुद की आमदनी तो बढ़ाई ही, साथ ही अन्य लोगों के लिए प्रेरणास्रोत बनीं। उनके मशरूम उत्पादन को देखने के लिए बाहर से लोग भी आने लगे। उनकी कार्य क्षमता को देखते हुए उन्हें ग्राम्या द्वारा कपकोट यूनिट में फैसिलेटर बनाया गया।
उनका 13 साल का बेटा शौर्य मेहता राजीव नवोदय विद्यालय में सातवीं का छात्र है। जिम्मेदारियों का अहसास हुआ और 2018 में वह ग्राम्या से जुड़ गईं। लीती, भनार, लाथी, चूचेर, मल्खाडूंर्चा, शामा, भनार आदि सुदूरवर्ती गांवों में मशरूम की खेती के लिए महिलाओं और पुरुषों को प्रेरित किया। वर्तमान में उनके साथ 30 महिलाएं और 30 पुरुषों का समूह जुड़ा हुआ है। इसके अलावा प्रवासियों को वह वर्तमान में मत्स्य पालन के लिए प्रेरित कर रही हैं। कोरोनाकाल में उन्होंने पांच हजार मास्क स्वयं बनाकर बांटे। 12 पर्यावरण मित्रों को स्वयं के खरीदकर राशन किट भी प्रदान किए। समाज सेवा करने का उनमें जज्बा है और वह कीवी, लिलियम आदि की खेती भी करा रही हैं। ममता ने कहा कि संघर्ष करने वाले कभी हार नहीं मानते हैं और वह इसी मंत्र के साथ अकेले आगे बढ़ रही हैं। उनकी इस उपलब्धि पर जिला पंचायत अध्यक्ष बसंती देव, विधायक बलवंत भौर्याल, चन्दन राम दास, पूर्व विधायक ललित फर्स्वाण,पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष हरीश ऐठानी, ब्लॉक प्रमुख गोविंद दानू, नगर पंचायत अध्यक्ष गोविंद बिष्ट, जिलाधिकारी विनीत कुमार, मुख्य विकास अधिकारी डीडी पंत, उप परियोजना अधिकारी ग्राम्या ललित रावत आदि ने बधाई दी है।