सीएनई रिपोर्टर, बागेश्वर
विकासखंड बागेश्वर के ग्राम पन्द्रहपाली निवासी सेवानिवृत्त शिक्षिका बंसती हरड़िया (68 वर्ष) का बरेली के एक निजी अस्पताल में इलाज के दौरान आकस्मिक निधन हो गया है। शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने के लिए बसंती हरड़िया को राष्ट्रपति पुरस्कार से भी नवाजा गया था। बसंती हरड़िया अपने पीछे पति, एक पुत्र तथा 2 पुत्रियों को रोता बिलखता छोड़ गई हैं।
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एक आदर्श शिक्षक एवं समाजसेविका के रूप में पहचान बनाने वाली बंसती हरड़िया ने राजकीय आदर्श प्राथमिक बागेश्वर, गाड़गाँव, बिलोना आदि के विद्यालयों में अपनी सेवाएं दीं। प्राथमिक विद्यालय बागेश्वर में रहते हुए उन्हें भारत के राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य के लिए उन्हें वर्ष 2014 में राष्ट्रपति पुरस्कार दिया गया। इससे पहले वर्ष 2005 में उन्हें राज्यपाल पुरस्कार भी मिला था। करीब 36 वर्षों तक शिक्षा विभाग में अपनी सेवाएं देने वाली बसंती हरड़िया का आज सुबह बरेली में आकस्मिक निधन हुआ। वह कुछ वर्षों से बीमार चल रहीं थीं।
शिक्षिका हरड़िया की पहली नियुक्ति अल्मोड़ा जिले के धौलादेवी ब्लाक अंतर्गत हुई थी। जहां दो साल तक शिक्षण कार्य करने के बाद पांच साल भैसियाछाना, एक साल छौना, 12 साल गाड़गांव के प्राथमिक विद्यालय में कार्य किया। उल्लेखनीय कार्य को देखते हुए उन्हें दो साल का सेवा विस्तार भी मिला और वह 30 नवंम्बर 2016 को सेवानिवृत्त हुई।
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उनके निधन पर मुख्य शिक्षा अधिकारी पदमेंद्र सकलानी, प्राथमिक शिक्षक संघ के बाला दत्त तिवारी, प्रताप कब्डोला, विक्रम पिलख्वाल, हेम लोहनी, उमेश जोशी, चरण सिंह बघरी, राजकीय शिक्षक संघ के विजय गोस्वामी, आलोक पांडेय, दीप जोशी, मनोज कांडपाल, दीप पांडेय, चन्द्र प्रकाश मिश्रा , पूर्व विधायक ललित फर्स्वाण, उम्मेद सिंह माजिला, राम प्रसाद टम्टा पूर्व अध्यक्ष जिला पंचायत हरीश ऐठानी, विक्रम शाही आदि ने शोक व्यक्त किया है।
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कोरोना वायरस को मजाक समझने वाले या हल्के में लेने वालों के लिए यह ख़बर एक बड़ी सीख है।