सीएनई रिपोर्टर। अल्मोड़ा
कुमाऊं विश्वविद्यालय, नैनीताल से जुड़े शोध छात्र रविशंकर गुसाईं ने “जनपद पिथौरागढ़ की रूपप्रद लोक कला का विवेचनात्मक अध्ययन” विषय पर शोध कार्य पूर्ण कर दृश्यकला विषय में पीएचडी की उपाधि प्राप्त की है।

रविशंकर गुसाईं ने इससे पूर्व एस.एस.जे. परिसर, अल्मोड़ा से बी.एफ.ए., एम.एफ.ए. तथा पत्रकारिता की पढ़ाई पूरी की। उन्होंने अपने शोध प्रबंध में सीमांत जनपद पिथौरागढ़ की लोक कला और जनजातीय कला के विविध रूपों, दुरूह हिमालयी अंतरदेशीय सीमापार व्यापारिक संबंधों और उनकी समृद्धशाली कला विरासत को विस्तारपूर्वक सूचीबद्ध व विवेचित किया है। उनका यह शोध क्षेत्र की सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित व प्रलेखित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण योगदान माना जा रहा है।
छात्र जीवन में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से सक्रिय रूप से जुड़े रहे रविशंकर गुसाईं वर्तमान में राजकीय इंटर कॉलेज नौगांव रीठागाड़ (अल्मोड़ा) में कला शिक्षक के रूप में कार्यरत हैं। साथ ही वे राजकीय शिक्षक संघ के कुमाऊं मंडल में मंडलीय मंत्री पद पर भी निर्वाचित हैं और शिक्षक समुदाय के हितों में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं।
इस अवसर पर उन्होंने अपने शोध कार्य में मार्गदर्शन देने वाले शोध निर्देशिका प्रो. सोनू द्विवेदी, प्रो. रजनीश पांडे, तथा अपने चाचा राम सिंह गुसाईं, पत्नी निधि गुसाईं, प्रो. शेखर जोशी, प्रो. संजीव आर्य, डॉ. दीपक आर्य, डॉ. दीपक मेलकानी, डॉ. मोहित रौतेला, डॉ. चंद सिंह चौहान, डॉ. सुनीता भौरियाल, डॉ. ज्योति आर्य, लोकेश कालाकोटी, जिला सूचना अधिकारी सत्यपाल सिंह, नीरज भट्ट, वीरेंद्र सिजवाली, जीवन तिवारी, दिनेश देवतल्ला, आशीष जोशी, विनीत बिष्ट, अशोक कनवाल, राजेंद्र राठौर, मनमोहन भागुनी, कौशल कुमार, अनंजय मिश्रा, गिरीश बिष्ट, गजेंद्र बिष्ट, कंचन जोशी, महेश पुनेठा, जयवीर नेगी और चित्रकला विभाग के सभी सहयोगियों का आभार व्यक्त किया।
रविशंकर गुसाईं की इस उपलब्धि से न केवल पिथौरागढ़ व कुमाऊं की लोक संस्कृति को नई पहचान मिली है, बल्कि स्थानीय लोक व जनजातीय कलाओं के संरक्षण और संवर्धन को भी नई ऊर्जा मिली है।

