हुनर का कमाल: अब लीजिए, पिरुल के हॉटकेश, कटोरे और थाली

कभी बेकार पिरुल अब ​बना बड़े काम की चीज G—20 में सजेगा ‘Pine leaf’ के उत्पादों का स्टॉल चन्दन नेगी, अल्मोड़ा जो पिरुल (चीड़ पत्ती)…

हुनर का कमाल: अब लीजिए, पिरुल के हॉटकेश, कटोरे और थाली

कभी बेकार पिरुल अब ​बना बड़े काम की चीज

G—20 में सजेगा ‘Pine leaf’ के उत्पादों का स्टॉल

चन्दन नेगी, अल्मोड़ा

जो पिरुल (चीड़ पत्ती) अब तक वनों में आग लगने का कारण बन रहा था और गांवों में सिर्फ पशुओं में बिछाने का काम का समझा जा रहा था। वहीं ‘पिरुल’ अब रोजगार की संभावनाओं में शामिल हो गया है। इससे सिर्फ कोयला (ईंधन) ही नहीं बन रहा बल्कि प्रशिक्षण के बाद महिलाएं इससे नाना प्रकार के उत्पाद बनाने लगी हैं। जिनकी बिक्री कर महिलाओं की आजीविका में ​वृद्धि होगी। खास बात ये है कि नैनीताल जनपद के रामनगर में प्रस्तावित जी—20 सम्मेलन में पिरुल से बने उत्पादों का स्टाल सजेगा।

जी—20 सम्मेलन में दिखेंगे पिरुल उत्पाद

पिरुल से विविध उत्पाद तैयार करती महिलाएं।

जी हां, पिरुल (Pine leaf) को उपयोग में लाकर रोजगार साधन बनाने और जंगलों को आग बचाने के मद्देनजर राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन योजनान्तर्गत ऐसी गतिविधियां चल रही हैं। इधर जिले के हवालबाग ब्लाक अंतर्गत महिलाओं को पिरुल से कोयला बनाने का प्रशिक्षण दिया गया, तो उधर विकासखण्ड द्वाराहाट के ग्राम असगोली में मां दुर्गा स्वयं सहायता समूह की महिलाएं पिरूल से नाना प्रकार के उत्पाद बनाने में जुटी हैं। यहां तक उन्होंने बेहद आकर्षक उत्पाद तैयार किए हैं। परियोजना निदेशक चंदा फर्त्याल ने बताया है कि नैनीताल जनपद के रामनगर में प्रस्तावित जी-20 सम्मेलन में इन उत्पादों का स्टाल लगाया जाएगा, जिसकी तैयारी समूह की महिलाएं कर रही हैं।

लो, पिरुल की थाली, हॉटकेश और कटोरे

इससे पहले राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन योजनान्तर्गत महिलाओं को ‘पाइन क्राफ्ट’ का प्रशिक्षण देकर दक्ष बनाया गया। इसके बाद महिलाओं ने इस कला में अपना हुनर दिखाना शुरू कर दिया। मां दुर्गा स्वयं सहायता समूह असगोली की महिलाओं ने पिरुल से आकर्षक उत्पाद तैयार किए हैं। इनमें टोपी, टोकरी, थाली, हॉटकेस, शोपीस ट्रे, कटोरे, पेन स्टेण्ड आदि शामिल हैं। उन्होंने बताया कि इन उत्पादों को स्थानीय मेले, स्थानीय बाजार, आजीविका महोत्सव, हिंलास आउटलेट में विपणन किया जा रहा है। पिरूल के इस अभिनव प्रयोग से वनों का पिरुल काम में आ जाएगा और वनों में आग नहीं भड़केगी। यह महिलाओं के लिए बिना लागत के ही आय का अच्छा स्रोत माना जा रहा है।

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