ALMORA BREAKING NEWS: लैंगिक अपराध मामले में अभियुक्त को 5 साल की कारावास और अर्थदंड की सजा सुनाई
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सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ा
अपर सत्र न्यायाधीश मनीष कुमार पांडे की अदालत ने लैंगिक अपराध के मामले में फैसला सुनाते हुए अभियुक्त को अलग—अलग धाराओं में कुल पांच साल के कारावास एवं 28,500 रुपये के अर्थदंड की सजा सुनाई है।
अभियोजन की कहानी के मुताबिक मामला 10 जून 2019 का है। मामले के अनुसार बीरबल पुत्र स्व. कमल सिंह, निवासी ग्राम ताल, पोस्ट ताल, तहसील चौखुटिया, जिला अल्मोड़ा हाल निवासी मल्ली मिरई, तहसील थाना द्वाराहाट, जिला अल्मोड़ा ने लैंगिक अपराध की घटना को अंजाम दिया। वह पीड़िता को विकलांगता का फायदा उठाकर रात घर के आंगन से घसीट ले गया और नीचे खेत में झ़ाड़ी की आड़ में ले जाकर उसके साथ जबरन शारीरिक संबंध बनाने का प्रयास करने लगा। पीड़िता अपनी दादी के साथ गौशाले में रहती थी। दादी के चिल्लाने पर परिवार व आसपास के लोग बाहर आए। उन्होंने बीरबल को रंगे हाथों पकड़ लिया और पुलिस बुलाई। पुलिस ने बीरबल को हिरासत में ले लिया।
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थाना द्वाराहाट में वादी मुकदमा जितेंद्र सिंह नेगी ने तहरीर दी। पुलिस ने उसके खिलाफ धारा—363, 376, 456 व 323 के तहत मुकदमा पंजीकृत किया और गिरफ्तार करने के बाद जेल भेज दिया। विवेचना अधिकारी ने विवेचना पूरी कर आरोप पत्र न्यायालय में प्रस्तुत किया।
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मामले का विचारण अपर सत्र न्यायाधीश अल्मोड़ा के न्यायालय में चला। मामले में अभियोजन की ओर से 14 गवाहों को परीक्षित कराया गया। अभियोजन पक्ष की ओर से जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी पूरन सिंह कैड़ा ने मामले में सबल पैरवी की तथा दस्तावेजी साक्ष्य अदालत में प्रस्तुत किए। अपर सत्र न्यायाधीश ने पत्रावली में मौजूद मौखिक व लिखित साक्ष्यों का परिशीलन करने के बाद फैसला सुनाया। जिसमें अभियुक्त बीरबल को धारा—363 के तहत तीन साल के कारावास व 5000 रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई है।
आदेश में यह भी कहा है कि अर्थदंड नहीं देने पर तीन माह का अतिरिक्त कारावास की सजा होगी। धारा 376 (1) सपठित धारा—511 के तहत 5 वर्ष के कारावास तथा 20 हजार रुपये का अर्थदंड और अर्थदंड नहीं देने पर 6 माह का अतिरिक्त साधारण कारावास की सजा सुनाई है। इसके अलावा धारा—456 के तहत एक वर्ष का कारावास तथा 3000 रुपये के अर्थदंड तथा धारा—323 के तहत एक वर्ष के कारावास व 500 रुपये के अर्थदंड की सजा सुनाई है। व्यवस्था दी है कि उक्त सभी सजाएं साथ—साथ चलेंगी, लेकिन अर्थदंड के एवज में दी गई सजाएं अलग—अलग होंगी। इसके अलावा जिला कारागार मेंं बिताई गई अवधि सजा में सजायोजित होगी।