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सीएम आतिशी के खिलाफ चुनाव लड़ेंगी अलका लांबा, कांग्रेस ने कालकाजी से दिया टिकट

नई दिल्ली | दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने उम्मीदवार की एक और लिस्ट जारी कर दी है। पार्टी ने अल्का लांबा को दिल्ली की मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी उम्मीदवार आतिशी के खिलाफ मैदान में उतारा है। कांग्रेस ने अल्का लांबा को कालकाजी सीट से टिकट दिया है।

दरअसल, साल 2025 के पहले ही दिन कालकाजी मंदिर जाकर अलका लांबा ने दर्शन किए थे। इसके बाद से ही सोशल मीडिया पर चर्चा शुरू हो गई थीं कि राष्ट्रीय महिला कांग्रेस की अध्यक्ष कालकाजी से चुनाव लड़ सकती हैं। हुआ भी ऐसा ही, कांग्रेस ने दिल्ली की सीएम और कालकाजी विधानसभा सीट से मौजूदा विधायक आतिशी के खिलाफ अलका लांबा को ही टिकट दे दिया। कालकाजी सीट पर अलका लांबा को टिकट दिए जाने के बाद अब यहां चुनाव काफी रोचक होने जा रहा है। कारण, बीजेपी भी दक्षिणी दिल्ली से पूर्व सांसद रहे रमेश बिधूड़ी को कालकाजी सीट से चुनाव लड़वाना चाहती है। अगर ऐसा हुआ तो तीन दिग्गजों के बीच जबरदस्त मुकाबला होने की उम्मीद है और दिल्ली के मुख्यमंत्री आतिशी के लिए सियासी जंग काफी मुश्किल हो जाएगी।

कांग्रेस ने AAP के सामने उतारे मजबूत उम्मीदवार

कांग्रेस अब तक दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए 48 उम्मीदवारों के नाम का ऐलान कर चुकी है। कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी के दिग्गजों के खिलाफ बड़े चेहरों को उतारने का फैसला किया है, जिसके तहत नई दिल्ली विधानसभा सीट पर पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खिलाफ पूर्व सांसद संदीप दीक्षित को टिकट दिया गया है। इसके अलावा पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के सामने जंगपुरा सीट से फरहाद सूरी को उम्मीदवार बनाया गया है।

2015 से 2020 के बीच अलका लांबा चांदनी चौक विधानसभा से विधायक थीं लेकिन इस बार कांग्रेस ने इस सीट पर पूर्व सांसद जेपी अग्रवाल के बेटे मुदित अग्रवाल को टिकट दिया है। अलका लांबा ने 2020 का चुनाव कांग्रेस के टिकट पर चांदनी चौक विधानसभा से ही लड़ा था लेकिन तीसरे नंबर पर रही थीं।

दिल्ली यूनिवर्सिटी से शुरू हुआ सियासी सफर

अलका लांबा ने अपने सियासी सफर की शुरुआत दिल्ली यूनिवर्सिटी में स्टूडेंट लीडर के तौर पर की थी। साल 2003 में तब बीजेपी के दिग्गज रहे पूर्व मुख्यमंत्री मदनलाल खुराना के सामने अलका लांबा मोतीनगर विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ी थीं। हालांकि वो खुराना से हार गईं थीं, लेकिन दिल्ली के दिग्गज को चुनौती देने के की वजह से उन्होंने खूब सुर्खियां बटोरीं थीं।

20 से अधिक वर्षों तक कांग्रेस से जुड़े रहने के बाद उन्होंने 26 दिसंबर 2014 को पार्टी से इस्तीफा दे दिया और आम आदमी पार्टी में शामिल हो गईं। फरवरी 2015 में, लांबा दिल्ली के चांदनी चौक से दिल्ली विधानसभा के लिए चुनी गईं। उन्होंने सितंबर 2019 में पार्टी के भीतर अनादर का हवाला देते हुए AAP छोड़कर औपचारिक रूप से कांग्रेस पार्टी में लौट आईं। हालांकि, कड़ी चेतावनी के साथ पार्टी परिवर्तन के नियमों का उल्लंघन करने के कारण दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष द्वारा उन्हें दिल्ली विधानसभा से अयोग्य घोषित कर दिया गया था।

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