”हमारी भी सुनेंगे” ! मुख्यमंत्री के नाम एक उत्तराखंडी श्याम जोशी की पाती….

क्या हमारे उत्तराखंड के मुख्यमंत्री जी ने जो उत्तराखंड से बाहर रह रहे उनके लिए कोई चिंता जाहिर की है ? नही, चिन्ता छोड़ों उन्होंने अलग—अलग राज्यों के मुख्यमंत्री से बात भी नही की। इस बिषय पर क्या उनका फर्ज नही बनता है ?
जब आपके राज्य में रोजगार नही तभी तो वहाँ से अलग—अलग राज्यों में काम कर रहे प्राइवेट कंपनी में काम कर अपने जीवन यापन कर रहे हैं क्या गलती कर रहे हैं ? अगर उत्तराखंड में रोजगार होता तो क्यों कोई बाहर निकलता ? क्यों हर समय ये मिडिल क्लास के लोगों को समझौता करना पड़ता है ?
मुख्यमंत्री जी, चाहे तो सब कर सकते हैं। उन्हें कोई फिक्र नही है अपने राज्य के युवाओं की। उनको क्या फर्क पड़ता है ? फर्क इसलिए नही पड़ता है, क्योंकि उनके राज्य में तो है नही ये लोग। उनको कोई पूछे तो उन्होंने सीधे अपना पल्ला झाड़ते हुए कहना है हम कोशिश कर रहे हैं। क्या आज तक कोई ऐसी न्यूज़ चैनल पर आई नही। इसका मतलब सीधा है उत्तराखंड सरकार को आज की पड़ी है, आने वाले कल की नही है। अपनी गलतियों को छुपाने के लिए उसने पहले 3 महीने का राशन दे दिया। सीधे—साधे लोगों को पागल बनाया जा रहा है।
बुहत दुःख होता है ये सब देखकर अपनी जब अपना ही मुख्या, अपने लोगों को नही देखता है। वहीं मेरे उत्तराखंड के लोग जो दिन रात सेवा में लगे हैं। अलग—अलग राज्यों पर, कम से कम मुख्यमंत्री जी को उन्हें देखकर तो अहसास होना चाहिये। मेरे राज्य के लोग बाहर रह कर भी देश की सेवा में लगे हुए हैं दिन रात। वहीं उत्तराखंड की युवा पीढ़ी, जो इन्तजार कर रही है कि वो कब यहाँ से निकले और घर की तरफ जाए। फिर मन में एक बुहत बड़ा सवाल उठता है कि गांवो में जाकर क्या करेंगे। वहां कब तक सरकार राशन देगी, यह बुहत बड़ी दयनीय स्थिति है।
हमारी उत्तराखंड सरकार को इस पर सोचना चाहिए और यह आज के समय में बुहत बड़ा चिंतनीय विषय है।
— श्याम जोशी अल्मोड़ा (चंडीगढ)
मोबाइल – +91- 9876417798