विवादास्पद कृषि कानून वापस लेने का विधेयक संसद में हंगामे के बीच मंजूर

नई दिल्ली। संसद के शीतकालीन सत्र के पहले दिन ही सरकार ने विवादास्पद तीनों कृषि सुधार कानूनों को वापस ले लिया। दोनों सदनों में विधेयक…

नई दिल्ली। संसद के शीतकालीन सत्र के पहले दिन ही सरकार ने विवादास्पद तीनों कृषि सुधार कानूनों को वापस ले लिया। दोनों सदनों में विधेयक को विपक्ष के हंगामे के बिना चर्चा के ध्वनिमत से पारित करा लिया गया। लोकसभा में यह विधेयक सिर्फ़ चार मिनट में ही पारित हो गया।

केन्द्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने ‘कृषि कानून निरसन विधेयक 2021’ को पेश किया। लोकसभा की कार्यसूची में यह विधेयक आज की कार्यवाही में दर्ज था जबकि राज्य सभा की कार्यसूची में इसे आज ही शामिल किया गया। अब इसे मंजूरी के लिए राष्ट्पति के पास भेजा जाएगा।

सरकार अध्यादेश के रास्ते इन कानूनों को लेकर आई थी, इसके बाद संसद में कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) क़ानून 2020, कृषक (सशक्तिकरण-संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार तथा आवश्यक वस्तु (संशोधन) क़ानून 2020 पारित कराया। इनके विरोध में पिछले एक साल से किसान विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।

इस महीने 19 नवम्बर को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राष्ट्र के नाम संबोधन में इन क़ानूनों को वापस लेने का एलान किया था। प्रधानमंत्री ने माफी मांगते हुए कहा कि सरकार कुछ किसानों को इन कानूनों के फायदों को समझाने में नाकाम रही।

संसद के शीतकालीन सत्र की कार्यवाही शुरू होने से पहले मोदी ने राजनीतिक दलों से शांति और सदन की गरिमा बनाए रखने की अपील की। मोदी ने कहा कि संसद में सवाल भी हों और शांति भी बनी रहे। सरकार किसी भी चर्चा के लिए तैयार है। कृषि कानूनों की वापसी की मांग को लेकर कांग्रेस ने संसद परिसर में धरना दिया। इसमें कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी समेत कई कांग्रेस सांसद शामिल हुए।

लोकसभा में विपक्षी सदस्य कृषि कानून निरसन विधेयक, 2021 बहस कराने की मांग को लेकर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला के आसन के सामने आ गये और हंगामा करने लगे। बिड़ला ने कहा कि सदस्यों को बोलने का पूरा अवसर दिया गया है लेकिन इस स्थिति में चर्चा नहीं करायी जा सकती। अध्यक्ष ने विधेयक को ध्वनिमत से पारित किये जाने की घोषणा की।

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि बिना चर्चा के सदन में विधेयक पारित हुआ। ये तीनों क़ानून किसानों के अधिकारों पर अतिक्रमण था। गांधी ने कहा कि यह किसानों की जीत है, लेकिन जिस तरह से बिना चर्चा के यह हुआ, वह दिखाता है कि सरकार चर्चा से डरती है। इससे पहले कार्य मंत्रणा समिति की बैठक में सरकार ने साफ कर दिया था कि विधेयक पर चर्चा नहीं होगी।

राज्य सभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने सदन के नियम 267 के तहत चर्चा कराने की मांग की थी। सरकार की तरफ से कहा गया कि वापस किए जाने वाले विधेयकों पर चर्चा नहीं होती। इस पर कांग्रेस ने कहा अभी तक 17 ऐसे विधेयक हैं जिनके वापस लिए जाते वक्त सदन में पर्याप्त चर्चा हुई थी। सरकार ने कृषि कानून वापसी के अलावा इस सत्र में 25 अन्य विधेयक पेश करने की तैयारी कर ली है। यह सत्र 23 दिसम्बर तक चलने की संभावना है।


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