Almora Special: अब कलात्मक भवनों के निर्माण से निखरेगी पहाड़ की खूबसूरती, अल्मोड़ा में खुला वास्तुकला कार्यालय ‘टेरा अटेलियर’
— वास्तुकार सुष्मिता बिष्ट व साथियों की पहल का स्वागत
सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ा
आधुनिकता की होड़ में पहाड़ की गुम होती वास्तुकला को फिर नई पहचान दिलाने और अपने असली रूप से जीवंत रखने के मकसद से खत्याड़ी में ‘टेरा अटेलियर’ कार्यालय का शुभारंभ हो चुका है। ‘टेरा अटेलियर’ का तात्पर्य भूमि से जुड़ी शिल्पकला है। आर्केटैक्ट (वास्तुकार) सुष्मिता बिष्ट व उनकी साथी कीर्ति जैन ने यह बीड़ा उठाया है। यहां उल्लेखनीय है कि सुष्मिता बिष्ट अल्मोड़ा के प्रतिष्ठित अधिवक्ता जमन सिंह बिष्ट की पुत्री हैं, जो एनआईटी हमीरपुर (हिमाचल प्रदेश) से मास्टर्स इन सस्टेनेबल आर्केटैक्चर की योग्यताधारी हैं।
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उक्त कार्यालय का उद्घाटन गत रविवार को नगर पालिका अध्यक्ष प्रकाश चंद्र जोशी ने रिबन काटकर किया। इस मौके पर मौजूद सभी गणमान्य व्यक्तियों ने इस पहल की मुक्त कंठ से प्रशंसा की। गणमान्य लोगों ने कहा कि अल्मोड़ा व पहाड़ में शिक्षित आर्केटैक्ट (वास्तुकार) की पहाड़ में काफी जरूरत थी। वास्तुकार होने से अब पहाड़ में कलात्मक भवन होने से पहाड़ की खूबसूरती निखरेगी और टूरिज्म को बढ़ावा मिलेगा। सभी ने सुष्मिता व उनके साथियों को शुभकामनाएं दी। उद्घाटन मौके पर प्रो. सत्यनारायण राव, शिखर होटल प्रबंधक राजेश बिष्ट, पूर्व दर्जा राज्य मंत्री बिट्टू कर्नाटक, ‘पहरू’ प्रबंध संपादक महेन्द्र ठकुराठी, ललित तुलेरा, प्रताप सिंह कनवाल, हर्ष कनवाल, देवेन्द्र फर्त्याल, किशन बिष्ट, डॉ. अंजली पटनायक, चंद्रशेखर बनकोटी, त्रिलोक सिंह बिष्ट, कुंदन सिंह बिष्ट, त्रिभुवन बिष्ट, आनंद सत्याल, नवीन बिष्ट, मृणाल सेमिया, आशिमा खंडूजा आदि लोग मौजूद रहे।
उद्घाटन मौके पर सुष्मिता बिष्ट ने विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि आज भवन निर्माण व बिल्डिंग इंडस्ट्री की वजह से विश्व में करीब 40 प्रतिशत प्रदूषण है, क्योंकि भवन निर्माण में कई प्रकार के कैमीकल, सीमेंट समेत कई प्रकार की प्रदूषण को बढ़ावा देने वाले सामग्री का बहुत अधिक इस्तेमाल किया जा रहा है। पहाड़ में टूरिज्म इंडस्ट्री का विकास तो हो रहा है। नए भवन, होटल, गेस्ट हाउस, रिसार्ट बन रहे हैं, किंतु उनमें भी सीमेंट सहित प्रदूषण को बढ़ावा देने वाली सामग्री का बहुतायत इस्तेमाल हो रहा है। इसके साथ ही पहाड़ के भवनों से पहाड़ी शैली नदारत हो रही है। पहाड़ प्रदूषित हो रहे हैं। शहरी व आधुनिक कला के मुताबिक काम व डिजाइन किया जा रहा है।
सुष्मिता ने बताया कि वे पहाड़ की भवन शैली को जीवंत रखकर पहाड़ को प्रदूषण मुक्त, खूबसूरत रखकर अनुशासित रूप से वास्तुशास्त्र के अनुसार कार्य करती हैं। मिट्टी, वृक्ष आदि सामग्री का इस्तेमाल करके पर्यावरण को स्वच्छ रखना अपने कार्य में पसंद करती हैं। सुष्मिता बिष्ट के साथ उनके साथी वास्तुकार कीर्ति जैन, सिविल इंजीनियर के रूप में मेहा चौधरी, इंटीरियर डिजाइनर स्वाति जैन हैं।