दीपक पाठक, बागेश्वर
पहले तो कोरोना के कारण उन्होंने नौकरी से हाथ धोया। अपने मूल गांव आकर मेहनत मजदूरी करके गुजर—बसर करने की ठानी, तो वहां हाड़तोड़ मेहनत ठेकेदार की बेदर्दी की भेंट चढ़ गई। अब कड़ी मेहनत मजदूरी करने के बाद अपनी पगार के लिए आंदोलन कर आवाज उठानी पड़ रही है।
यहां बागेश्वर जनपद के भद्रकाली गांव के 32 प्रवासी ग्रामीणों की बात हो रही है। बीते साल इनकी कोरोना महामारी के कारण प्राइवेट नौकरी छूट गई और वह दूर शहर से अपने गांव लौट आए। यहां आकर गुजर—बसर के लिए मेहनत मजदूरी करने की ठानी और एक सड़क के सोलिंग कार्य में मजदूरी करने लगे। चार महीने तक पसीना बहाया। मगर जहां कई लोगों ने कोरोनाकाल में जरूरतमंदों की मदद को हाथ बढ़ाये। वहीं इन ग्रामीणों का पल्ला ऐसे ठेकेदार से पड़ा, जिसका संकटकाल में इन ग्रामीणों के पसीने से भी दिल नहीं पसीजा। ठेकेदार ने उन्हें चार महीनों में मजदूरी नहीं दी। मजदूरी करने वाले ये ग्रामीण पगार मिलने आस ठेकेदार पर लगाए थे, कि विभाग ने लापरवाही के आरोप में ठेकेदार को ब्लैक लिस्टेड कर दिया। ये कार्यवाही अपनी जगह है, मगर पसीना बहाने वाले इन ग्रामीणों का रोजी—रोटी का संकट नहीं टला, क्योंकि विभाग ने उन्हें मजदूरी देने या दिलवाने के बारे में आज तक नहीं सोचा।
अब नौबत यह आन पड़ी है कि अपनी मेहनत की पगार के लिए ग्रामीणों को आंदोलन कर आवाज उठानी पड़ रही है। उन्होंने मजदूरी नहीं मिलने के खिलाफ फिर प्रदर्शन किया और शासन-प्रशासन से मजदूरी दिलाने की मांग की है। प्रवासियों का कहना है कि सरकार ने उन्हें स्वरोजगार के लिए ऋण उपलब्ध कराने की बात कही, किंतु ऐसा नहीं हुआ। तभी उन्हें मजदूरी के लिए मजबूर होना पड़ा और व्यवस्था का हाल ये है कि मेहनत मजदूरी करने के बाद भी पगार तक नहीं मिल पा रही है, जबकि पगार के लिए कई बार गुहार लगाई गई और बेदर्दी ठेकेदार ने भुगतान नहीं किया। उन्हें अब पता चला है कि विभाग ने ठेकेदार को ब्लैक लिस्टेड कर दिया है। अब उन्होंने जिला प्रशासन से संबंधित विभाग से उनका भुगतान कराने की मांग की है। प्रदर्शन करने वालों में ग्राम प्रधान सूरज कुमार समेत सुमित कुमार, सोहन राम, बसंती देवी आदि कई ग्रामीण शामिल थे। इस मामले में उप जिलाधिकारी राकेश चन्द्र तिवारी ने बताया कि मामले की जांच की जाएगी। उन्होंने कहा कि मजदूरों की मेहनत की राशि मिलनी चाहिए। इसके लिए जांच के बाद ही आगे की कार्रवाई होगी।