यूपी के Meerut Medical College में एक हद दर्जे की Negligence का मामला सामने आया है। यहां एक Corona infected की भर्ती होने के दो दिन बाद ही मौत हो गई, लेकिन मेडिकल स्टॉफ लगभग डेढ़ सप्ताह तक उन्हें किसी अन्य मरीज का अपडेट देते रहे। सच्चाई जब खुली तो मृतक के परिजन सन्न रहे गये। वहीं अस्पताल प्रशासन को मृतक के शव का क्या हुआ, इसके बारे में तक कुछ पता नही है।
दरअसल, मेरठ मेडिकल कॉलेज में गत 21 अप्रैल को एमईएस से सेवानिवृत्त अधिकारी संतोष कुमार 64 साल कोरोना संक्रमण के बाद भर्ती किये गये थे। 24 तारीख को ही उनकी मौत हो गई, लेकिन मेडिकल स्टॉफ वार्ड में भर्ती एक संतोष नाम की महिला के स्वास्थ्य संबंधी अपडेट मृतक के परिजनों को देता रहा। इस बीच देखते ही देखते 12 दिन बीत गये, तब परिजनों को कुछ संदेह हुआ। 03 मई को उनकी बेटी ने डॉक्टरों से जब सटीक जानकारी मांगी तो वह कुछ नही बता पाये।
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इसके बाद परेशान बेटी ने एक वीडियो social media में पोस्ट करते हुए सीएम आदित्यनाथ से मदद मांगी। मामला गरमाने पर मृतक के शव की ढूंढ खोज शुरू हुई, लेकिन Hospital administration को वह शव नही मिला। सम्भवत: संतोष कुमार के शव को लावारिस की सूची में रख जला दिया गया है। अब इस पूरे मामले की जांच के मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. ज्ञानेंद्र कुमार ने दिए हैं।
इधर अस्पताल सूत्रों का कहना है कि Santosh Kumar मेडिकल में कोविड के जिस बेड पर भर्ती थे, उसी वार्ड में महिला संतोष कपूर भी भर्ती थीं। दो नाम एक जैसे होने से Confusion की स्थिति पैदा हो गई। उधर मृतक संतोष कुमार की बेटी शिवांगी और बेटे अंकित ने मेडिकल कॉलेज की व्यवस्था पर सवाल उठाए हैं।
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कहा कि ”जब हमारे पिता के साथ ऐसी अनहोनी हो गई थी तो करीब 12 दिन तक हमें गुमराह किया गया। लेकिन दूसरे मरीज की wrong information हमें देते रहे कि आपका मरीज ठीक है। इसमें लापरवाही करने वाले दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए।” फिलहाल यह मामला एसएसपी के पास भी पहुंच चुका है।